देहरादून।
उत्तराखंड के 23 साल के इतिहास में पुष्कर सिंह धामी पहले ऐसे सीएम बन गए हैं, जो हर बड़ी घटना के बाद ऑफिस की बजाय सीधे मौके पर ग्राउंड जीरो पर जाकर कमान संभाल रहे हैं। जोशीमठ, मालदेवता आपदा हो या सिलक्यारा टनल हादसा, सीएम धामी ने ग्रांउड जीरो पर रह कर ही मोर्चा संभाला। अब हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा के बाद बिगड़े हालात को संभालने को सीएम धामी ने सीधे मैदान में उतरे। पुलिस कर्मियों का हौंसला बढ़ाया। दंगाइयों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
अभी तक उत्तराखंड में सीएमओ का ट्रेंड यही रहा कि मौके की बजाय मुख्यमंत्री ऑफिस में रह कर ही समीक्षा करने तक सीमित रहते थे। फील्ड में कुछ एक अफसरों को भेज कर इतिश्री कर ली जाती थी। जुलाई 2021 के बाद ये स्थिति बदली। सीएम धामी ने न सिर्फ अपने पहले कार्यकाल, बल्कि दूसरे कार्यकाल में भी हर विपरीत परिस्थिति, चुनौती में आगे बढ़ कर मोर्चा संभाला। जहां पूर्व में नेता आपदाग्रस्त क्षेत्रों में एकबार नहीं जाते थे, वहीं सीएम धामी ने देहरादून मालदेवता में कई बार पहुंचे। जोशीमठ में भी कई बार ग्राउंड जीरो पर पहुंच कर राहत एवं बचाव कार्यों को परखा। प्रभावितों के साथ साथ रात रात गुजार कर उनका हौंसला बढ़ाया।
सिलक्यारा टनल हादसे में तो सीएम ने मौके पर ही कैंप ऑफिस खोल दिया। पूरे समय मौके पर रह कर कमान संभाली। सिलक्यारा टनल हादसे की सफलता की एक बड़ी वजह, सीएम की यही सक्रियता भी रही। इस बार भी जब हल्द्वानी वनभूलपुरा में हुई हिंसा में हालात बिगड़े, तो सीएम ने सबसे पहले गुरुवार रात सीएम आवास में बैठक कर दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए। इस आदेश का असर ये हुआ कि घंटों से चल रहा दंगाइयों का तांडव तत्काल बंद हो गया। सभी अपने अपने बिलों में जाकर छुप गए। शुक्रवार सुबह भी सीएम धामी ने मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर को मौके के लिए रवाना किया। इसके बाद दोपहर में ही हल्द्वानी पहुंच कर ग्राउंड जीरो से हालात का जायजा लिया। सीएम धामी ने दो टूक शब्दों में साफ किया कि देवभूमि की फिजा को बिगाड़ने का काम जिसने भी कानून को अपने हाथ में लेकर किया है, वो बख्शे नहीं जाएंगे। उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई होगी कि भविष्य में कोई भी ऐसा करना तो दूर ऐसा सोचेगा भी नहीं।