सीएम पुष्कर की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद नेताओं के बदले सुर, कई की बोलती बंद, कुछ हुए अंडरग्राउंड, हरीश रावत ने भी मांगी माफी, बोले आयोग अध्यक्ष और अन्य अफसरों के चयन में हुई चूकसीएम पुष्कर की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद नेताओं के बदले सुर, कई की बोलती बंद, कुछ हुए अंडरग्राउंड, हरीश रावत ने भी मांगी माफी, बोले आयोग अध्यक्ष और अन्य अफसरों के चयन में हुई चूक

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देहरादून

सीएम पुष्कर की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद नेताओं के बदले सुर, कई की बोलती बंद, कुछ हुए अंडरग्राउंड, हरीश रावत ने भी मांगी माफी, बोले आयोग अध्यक्ष और अन्य अफसरों के चयन में हुई चूक

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद नेताओं के सुर बदल गए हैं। कई नेताओं की बोलती बंद हो गई है, तो कई बयानवीर अंडरग्राउंड हो गए हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत तक को माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अध्यक्ष और अन्य अफसरों के चयन में उनसे चूक हुई। उन्होंने अपने से जुड़े लोगों को जांच में हर तरह का सहयोग करने के लिए कहा।
सोशल मीडिया पर हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में जिन दो अध्यक्षों का चयन किया, उन दोनों अध्यक्षों के कैरियर ग्राफ को देख कर यही लगेगा कि ये नियुक्ति करते वक्त हमने कोई गलती नहीं की। अब कोई भी व्यक्ति कहां और किस क्षण बड़ी गलती कर जाए या अकर्मण्य सिद्ध हो जाए, इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। इसके लिए वे भगवान और उत्तराखंड से माफी मांगते हैं। शायद इन संस्थाओं में नियुक्त व्यक्तियों के चयन में उनसे गंभीर चूक हुई हैं। कहा कि उस कालखंड में अपने साथ काम करने वाले लोगों से कहा है कि हर जांच में पूरा सहयोग करें। उत्तराखंड के साथ न्याय होना चाहिए।
कहा कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जन्म से लेकर अभी तक पतन की कहानी से वे बहुत क्षुब्ध हैं। बड़े अरमानों से उन्होंने इस संस्था को खड़ा किया। मेडिकल शिक्षा के भर्ती चयन बोर्डों और प्राविधिक शिक्षा बोर्ड को परीक्षा करवाने की अनुमति देने के निर्णयों को लिया था। मन में एक सोच थी कि सारी नियुक्तियों को प्रक्रिया सम्मत बनाया जा सके। समय पर, विधि सम्मत तरीके से नियुक्तियां हो सकें। राज्य जिसे हमने तदर्थ, आउट सोर्स की नियुक्तियों का स्वर्ग बना दिया था। युवाओं के मन की अनिश्चितता को समाप्त करने को इन संस्थाओं को खड़ा किया गया। मेरी भावना थी कि नौजवानों के मन में विश्वास की भावना पैदा हो सके कि हम परिश्रम करेंगे तो हमें समय पर विधि सम्मत तरीके से नियुक्तियां मिल जाएंगी। लोक सेवा आयोग को सक्रिय किया। आयोग में गड़बड़ी की शिकायत आने पर अध्यक्ष से इस्तीफा मांगा।

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