मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत बोले कृषि सुधार कानून किसानों के हित में लाये गये कानून, कृषि कानून को लेकर किसानों को भ्रमित किया गया
देहरादून।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि कृषि सुधार कानून किसानों के हित में लाये गये कानून है। कृषि कानून को लेकर किसानों को भ्रमित किया गया है। देश के एक विशेष राज्य पंजाब जहां कांग्रेस की सरकार है जिस तरह से आन्दोलन को गलत दिशा में मोड़ने का प्रयास किया गया है वह किसानों के हित में नही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विज्ञानी स्वामीनाथन कमीटी की रिपोर्ट पर कार्यवाही किये जाने की लम्बे समय से मांग की जा रही थी, उसी रिपोर्ट के आधार पर यह कानून बनाये गये हैं जो किसानों के व्यापक हित में हैं। इसमें किसानों के लिए अनेक विकल्प रखे गये हैं, पहले केवल मण्डी ही खरीदारी करती थी, आज उसके लिए ओपन मार्केट की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि एमएसपी समाप्त करने के सम्बन्ध में किसानों में भ्रम फैलाने का प्रयास हो रहा है जबकि एमएसपी कही भी समाप्त नही की जा रही है। किसानों का एमएसपी पर धान क्रय किया गया है तथा एमएसपी पर क्रय की व्यवस्था जारी है, इसके बावजुद भी किसानों को भ्रमित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों के वास्तवित हित के लिए केन्द्र हो या राज्य सरकार किसानों के हितों को प्राथमिकता दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गन्ना किसानों को सौ प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया गया है। धान मूल्य का भुगतान ऑनलाईन 24 घण्टे के अन्दर ही बिल प्राप्त होते ही आरटीजीएस के माध्यम से उनके खाते में जमा की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि नये पैराई सत्र से पहले गन्ना किसानो को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की इकबालपुर शुगर मिल जो बन्द हो गई थी जिससे 22,500 किसान जुड़े थे, राज्य सरकार ने इस मिल को 36 करोड़ की गारन्टी देकर खुलवाया है ताकि किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानो के व्यापक हित में खाण्डसारी नीति बनाई गई है ताकि जो भी किसान खाण्डसारी उद्योग शुरू करना चाहे शुरू कर सकता है। मुख्यमंत्री ने किसानों को विश्वास दिलाया कि केन्द्र व राज्य सरकार किसानों के हितों की संरक्षक है तथा उनके हितों के प्रति प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो कांग्रेस पार्टी आज इस बिल का सबसे मुखर विरोध कर रही है और किसानों को भ्रमित कर रही है, उसी कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को 2019 के अपने घोषणापत्र में शामिल किया था। उनके घोषणापत्र में साफ-साफ लिखा था, “कांग्रेस ए.पी.एम.सी. एक्ट को निरस्त कर देगी और कृषि उत्पादों के व्यापार की व्यवस्था करेगी। ये बातें उनके मेनिफेस्टो में पेज नंबर 17 के प्वॉइंट नंबर 11 में दर्ज है। आज वह एवं उनके मुख्यमंत्री इसके विरोध में जुड़े है।
उन्होंने कहा कि गुजरात में 2003 से पहले किसानों को आधा घण्टा भी बिजली नही मिलती थी और उसका भी कोई समय नही था, श्री नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद किसानों को सात घण्टे बिजली उपलब्ध कराने के साथ ही दो साल के भीतर सपरेट फीडर की व्यवस्था की गई। पांच साल पहले तक वहां किसानों को 50 पैसे युनिट बिजली उपलब्ध कराई जा रही थी। किसानो का हितेषी ऐसा व्यक्ति आज प्रधानमंत्री है। वह कैसे किसान विरोधी हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसानों के हितों के प्रति वचनबद्ध है, वे किसी भ्रम में नही पड़े। उन्होंने कहा कि वे बन्द के विरोधी नही है किन्तु इस प्रकार के प्रयासों से अमन को नुकसान नही पहुचना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान आन्दोलन के दृष्टिगत प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने यह भी अपेक्षा की है कि किसानों को किसी भी तरह से माहौल को खराब करने का प्रयास नही करना चाहिए।