देहरादून
मसूरी पेयजल योजना पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने उठाए गंभीर सवाल, सीएम को पत्र भेज कर जांच की मांग की, अफसरों की भूमिका और कंपनी पर बरती जा रही मेहरबानी पर उठाए सवाल
टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय के कोश्यार ताल पेयजल योजना पर सवाल खड़े करने के बाद कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी मसूरी पेयजल योजना की जांच की मांग कर दी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख कर जांच की मांग की है। उन्होंने योजना की समय सीमा के साथ ही गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं।
सीएम को भेजे पत्र में कहा कि 144.46 करोड़ की मसूरी पेयजल योजना का काम मार्च 2022 तक पूरा होना था। जो अभी तक नहीं हुआ। 100 करोड़ से अधिक का बजट खर्च होने के बाद भी योजना में 50 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हुआ है। काम की रफ्तार बेहद धीमी है। इस योजना के टेंडर के समय से ही विवाद है। अनुबंध के समय भी अनियमितता हुईं। एक अनुभवहीन, विवादित एजेंसी को काम दिया गया। सिंगल टेंडर पर काम देने का भी आरोप लगाया। एजेंसी की ओर से न समय और न ही गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है।
योजना के महत्वपूर्ण पम्पिंग प्लांट के काम अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। अभी तक न तो पम्पिंग पाइप लाइन बिछी है। न ही पंप हाउस का काम हुआ है। इसके बाद भी ताबड़तोड़ एजेंसी को भुगतान किया जा रहा है। स्थानीय जनता इसे लेकर लंबे समय से जांच की मांग कर रही है। ऐसे में योजना की प्रगति और गुणवत्ता की निष्पक्ष जांच की जाए। फर्म के खिलाफ धीमी प्रगति के लिए दंडात्मक कार्रवाई करते हुए ब्लैकलिस्ट किया जाए। योजना से जुड़े जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई हो।
ये है योजना की असल स्थिति
यमुना नदी से मसूरी के लिए 144.46 करोड़ लागत से 11.7 एमएलडी की पेयजल योजना तैयार की जा रही है। इस योजना को पहले सितंबर 2021 में पूरा होना था। कोविड के कारण समय बढ़ा कर मार्च 2022 किया गया। अब इसे नौ नवंबर तक पूरा करने की तैयारी थी, लेकिन काम दिसंबर तक भी बामुश्किल पूरा होने की संभावना है। योजना पर 103 करोड़ का बजट जारी हो चुका है, जो लगभग पूरा खर्च हो चुका है। इसके बावजूद अभी भी योजना का काम 60 प्रतिशत के करीब ही पूरा हुआ है। फिल्टर हाउस 50 प्रतिशत, मुख्य लाइन 35 प्रतिशत, डिस्ट्रीब्यूशन लाइन 80 प्रतिशत, आईपीएस वन और टू 60 प्रतिशत पूरे हो चुके हैं। पंप हाउस का काम नहीं हुआ है।
आला अफसरों के मौके पर न जाने पर उठाए सवाल
कैबिनेट मंत्री ने इस योजना के कार्यों की निगरानी को आला अफसरों के मौके पर जाकर निरीक्षण न करने पर सवाल उठाए। एमडी, मुख्य अभियंता के स्तर से नियमित निरीक्षण नहीं हो रहा है। प्रगति बढ़ाने और गुणवत्ता सुधार के भी प्रयास नहीं हो रहे हैं। फील्ड में जाकर निरीक्षण करने की बजाय ऑफिस में बैठ कर कागजों में ही समीक्षा हो रही है।
योजना की नियमित निगरानी की जा रही है। हर 15 दिन में बैठक बुलाई जा रही है। योजनाबद्ध तरीके से तय समय पर काम पूरा करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि जल्द से जल्द काम पूरा कर लिया जाए। इसके लिए इंजीनियरों को युद्धस्तर पर काम पूरा करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
नितेश झा, सचिव पेयजल