कैबिनेट उप समिति की रिपोर्ट कोर्ट की अवमानना, विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन ने रिपोर्ट पर उठाए सवाल, हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना दिया गया करार
देहरादून।
उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन ने उपनल कर्मचारियों को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट उपसमिति की रिपोर्ट को हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना करार दिया। संगठन ने अफसरों पर कोर्ट की अवमानना किए जाने का आरोप लगाया।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि मुख्य सचिव, उत्तराखंड की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक के बाद 12 अप्रैल 2021 को बैठक का कार्यवृत जारी किया गया है। कार्यव्रत में संगन्ध पौधा केंद्र, सेलाकुई में नियमित किये गए कार्मिकों व पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में समान वेतनमान का न्यूनतम दिए जाने संम्बंधी निर्णय के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने किए जाने की बात कही गई है। संगठन इस फैसले की घोर निंदा करता है। क्योंकि समिति ने बिना तथ्यों को जांचे परखे ही इस तरह की टिप्पणी की है।
ऊर्जा निगम में समान वेतन लागू करने का निर्णय उच्च न्यायालय, नैनीताल में अवमानना याचिका दायर होने के बाद लिया गया था। बावजूद इसके समिति हाईकोर्ट के निर्णय का अनुपालन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कह कर, सीधे न्यायालय को चुनौती दी जा रही है। ये सीधे तौर पर न्यायालय की अवमानना है। कहा कि ये कार्यवृत उत्तराखंड शासन की संविदा कर्मचारी विरोधी नीति को उजागर करता है। जोकि जानबूझकर उच्च न्यायालय के निर्णयों की अवमानना कर रहे हैं। ये सीधे तौर पर सरकार की छवि धुमिल करने का प्रयास है। साफ किया ऐसे अफसरों पर कार्रवाई न हु ई, तो भविष्य में इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। संगठन ने कार्यवृत को निरस्त किए जाने की मांग की। कहा कि जल्द औद्योगिक न्यायाधिकरण एवं हाईकोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए नियमितीकरण एवं समान कार्य के लिए समान वेतन दिए जाने की सकारात्मक कार्यवाही की जाए।
बिना संगठन को सुने ऐसा फैसला अन्याय
संगठन अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि उपसमिति की बैठक में पंजीकृत संगठन, ऊर्जा के तीनों निगम प्रबंधन और सचिव ऊर्जा को सदस्य के रूप में आमंत्रित ही नहीं किया गया। जो कि खेद का विषय है। विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन एक ऐसा संगठन जो पिछले कई वर्षों से उपनल संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण व समान वेतन सहित विभिन्न मांगों के लिए सड़क से लेकर कोर्ट में संघर्षरत है। संगठन के पक्ष में ही औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी और हाईकोर्ट ने नियमितीकरण और समान वेतन के आदेश पारित किए। वर्तमान में हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे है। लेकिन हाईकोर्ट ने साफ किया है कि ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। उन पदों पर न तो कोई सीधी भर्ती की जाएगी और न ही उनकी सेवाशर्तों में कोई बदलाव होगा। इसके अलावा उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस कुंदन सिंह बनाम उत्तराखंड शासन में भी सीधे तौर पर पक्षकार है। ऐसे संगठन का पक्ष सुने बगैर उक्त समिति द्वारा इस तरह के अवैधानिक कार्यवृत कैसे जारी कर सकती है।