यूं ही नहीं हर कोई पुष्कर धामी बन जाता है, राज्य का पहला सीएम जो आपदा में अपनी जनता को अफसरों के भरोसे छोड़ने की बजाय खुद ग्राउंड जीरो पर, सीएम आवास की बजाय सर्द रात में जोशीमठ में आपदा प्रभावितों के बीच पहुंच जाना हाल, सचिव सीएस तक को मौके पर झोंका |

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देहरादून।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने अभी तक के कार्यकाल में अपने कामकाज में आम जन के बीच एक विश्वास पैदा कर दिया है। ये भरोसा उन्होंने ऐसे ही नहीं जीता, बल्कि इसके लिए उन्होंने सीएम आवास के आराम तलब माहौल को छोड़ हर मुश्किल परेशानी में अपनी जनता के बीच ग्राउंड जीरो पर रहना ज्यादा बेहतर समझा। आपदा देहरादून के मालदेवता में आई हो या जोशीमठ, हर मौके पर सीएम धामी जनता के बीच नजर आए। वो राज्य के पहले ऐसे सीएम बन गए हैं, जिसने हालात को अफसरों के भरोसे छोड़ने की बजाय खुद आगे आकर कमान संभाली। यही वजह है, जो सीएम धामी सीएम आवास में ब्लोवर की गर्माहट के बीच हालात का जायजा लेने की बजाय सर्द रात में जोशीमठ में आपदा प्रभावितों के बीच पहुंच कर काम कर रहे हैं। लोगों में विश्वास जगा रहे हैं कि राज्य का मुख्य सेवक हर पल उनके साथ है।


उत्तराखंड में जब कभी भी बड़ी आपदाएं आईं, तो मुख्यमंत्रियों ने एकबार मौके पर जाकर औपचारिकता निभाई। बाकि समय सचिवालय और सीएम आवास से ही अफसरों के भरोसे रह कर आम जनता को उनके हालात पर ही छोड़ने का काम किया। सरकार के आला अफसर भी सचिवालय से ही अपने अधीनस्थों को निर्देश देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी करते रहे। लेकिन पुष्कर राज में हालात पूरी तरह जुदा हैं। जोशीमठ आपदा में सीएम धामी ने खुद आगे बढ़ कर नेतृत्व किया। न सिर्फ खुद एक सप्ताह के भीतर ही दूसरी बार जोशीमठ पहुंच चुके हैं, बल्कि सचिव मुख्यमंत्री आर मीनाक्षी सुंदरम तक को मौके पर झोंक रखा है।


खुद बुधवार को मौसम खराब होने के बावजूद जोखिम उठाते हुए जोशीमठ पहुंचे। जोशीमठ पहुंच कर भी बंद कमरे में अफसरों से मंत्रणा करने की बजाय उन्होंने मौके पर जनता के बीच जाना बेहतर समझा। सीएम धामी को अपने बीच मौजूद देख एक बूढ़ी मां को उनमें अपना बेटा नजर आया। तो युवाओं को लगा कि उनका बड़ा भाई साथ खड़ा है। बच्चों को अहसास कराया कि उनका भविष्य सुरक्षित है। किसी को भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। शाम को लोगों का हाल जानने के बाद रात में भी सीएम धामी शांत नहीं बैठे। बल्कि सर्द रात में भी 11 बजे के बाद भी लोगों के बीच पहुंचने का सिलसिला जारी रखा। राहत कैंप में पहुंच कर उन्होंने जाना कि लोगों को खाना कैसा मिल रहा है। किसी को ये अहसास न हो कि आपदा के इस समय में उन्हें अपने घर जैसा खाना नहीं मिल रहा।
बुधवार देर रात तक लोगों के बीच रहने के बाद गुरुवार सुबह फिर उसी उत्साह के साथ जोशीमठ में लोगों के बीच मौजूद रहे। भगवान बदरीविशाल, नृसिंह से प्रार्थना की। अपने राज्य की सुख समृद्धि खुशहाली को लेकर प्रार्थना की। न सिर्फ लोगों के बीच पहुंच कर बल्कि राहत कार्यों में तेजी लाने को लेकर भी सीएम धामी फ्रंट फुट पर काम कर रहे हैं। राहत पैकेज तैयार करने से लेकर फौरी तौर पर तत्काल राहत देने को लेकर भी मिशन मोड पर युद्धस्तर पर काम चल रहा है। लोगों को तत्काल अंतरिम राहत राशि के रूप में डेढ़ लाख की राशि दी जा रही है। तात्कालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने को लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया रहा है। उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्लानिंग चल रही है।


आपदा के इन विपरीत हालातों के बावजूद सीएम धामी आम जनता में ये विश्वास जगाने में शत प्रतिशत कामयाब रहे हैं कि उनके रहते हुए राज्य की जनता को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। अपने कामकाज, सक्रियता से उन्होंने विपक्षियों को भी अपना मुरीद बना दिया है। विपक्ष के सबसे बड़े नेता हरीश रावत तक को बार बार सोशल मीडिया के सार्वजनिक मंच पर सीएम पुष्कर की तारीफ करने को मजबूर होना पड़ रहा है। सीएम पुष्कर इन विपरीत हालातों में भी न तो विपक्ष और न ही मीडिया से दूरी बना रहे हैं, बल्कि आगे आकर वे मोर्चा संभाल रहे हैं। यही वो तमाम वजह हैं, जो सीएम पुष्कर धामी को बाकि सभी नेताओं से अलग बनाए हुए हैं। उनके रूप में दशकों बाद राज्य को एक मजबूत और युवा नेतृत्व मिला है।

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