सीएम त्रिवेंद्र के निर्देश, पेयजल की गुणवत्ता बनाई जाए, जल निगम को दिया जाए सिंचाई के ट्यूबवेल का स्वामित्व, जमीन से दो फुट नीचे हो पाइप लाइन, बोर्ड पर लिखा हो ठेकेदार का नाम 

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देहरादून।

उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण परिषद की बैठक में सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पेयजल योजनाओं की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने निर्देश दिए। कहा कि पाइप लाइन को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए पाइप लाइन जमीन से दो फिट नीचे बिछाई जाए। मौके पर बोर्ड लगाया जाए। इसमें पेयजल योजनाओं की चिन्हित कार्यदायी संस्था, ठेकेदार का नाम, लागत का ब्यौरा दर्ज हो।
मंगलवार को सचिवालय में हुई बैठक में सीएम त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि बोर्ड भी योजना स्थल पर ही लगाया जाए। ताकि लोगों को जानकारी रहे कि योजना का निर्माण किसके किया है। कमी पाये जाने पर स्थानीय लोग शिकायत कर सकें। कहा कि योजनाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिये जाने के साथ ही यह व्यवस्था बनायी जाय कि बड़ी योजनाओं के मेंटेनेंस का कार्य भी 2 साल तक कार्यदायी संस्था के स्तर पर किया जा सके। सिंचाई विभाग को ट्यूबवेल एवं पंपों का स्वामित्व जल निगम को देने के निर्देश दिए। ताकि सिंचाई के साथ पेयजल की भी आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। सीएम ने पेयजल से जुड़े इंजीनियरों को दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में संचालित योजनाओं के स्थलीय निरीक्षण के भी निर्देश दिए। सीएम ने बैठकों में वन विभाग के अफसरों को भी मौजूद रहने के निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि गांवों में पेयजल योजनाओं के रख-रखाव को प्लम्बर के कार्य के लिये स्थानीय युवाओं का कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाए। इसके लिए व्यवस्था करने के निर्देश दिये।
पेयजल अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष रिपुदमन सिंह रावत ने कहा कि पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने पर तुरन्त मरम्मत कराई जाए। जिन गांवों में जल स्रोत गांवों के नीचे हैं, वहां पर सोलर पम्पिंग की व्यवस्था की जाए। विभाग में इंजीनियरों की नियुक्ति की जाए। जिन पेयजल योजनाओं का निर्माण ग्राम समूह अपने संसाधनों से कर रहे हैं, उन्हें आर्थिक मदद दी जाए। सचिव पेयजल नितेश झा ने कहा कि 2022 तक हर घर को नल से जोड़ने के लक्ष्य पर तेजी से काम किया जा रहा है।

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