वन पंचायतों के कार्यों में बढ़ गया कमीशन, पीसीसीएफ के सामने ही खुली पोल

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वन पंचायतों के कार्यों में बढ़ गया कमीशन, पीसीसीएफ के सामने ही खुली पोल
प्रमुख वन संरक्षक ने कहा अब कोई कमिशन मांगे तो मुझे बताना
वन पंचायतों के ई संवाद में सरपंच ने खोली महकमे की पोल, वन कर्मचारियों के कमीशन लेने की सीधे शिकायत
प्रमुख वन संरक्षक ने जताई नाराजगी, दी चेतावनी, ऐसी शिकायतों पर होगी कड़ी कार्रवाई
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
वन पंचायतों के कार्यों में कमीशन बहुत बढ़ गया है। विभागीय कमीशनबाजी की ये पोल सीधे पीसीसीएफ के सामने ही खुली। प्रमुख वन संरक्षक ने कहा कि अब कोई कमिशन मांगे तो मुझे बताना। वन पंचायतों के ई संवाद में सरपंच ने ही महकमे की पोल खोली। वन कर्मचारियों के कमीशन लेने की सीधे शिकायत की। इस पर प्रमुख वन संरक्षक ने नाराजगी जताई। पीसीसीएफ ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
विभागीय कमीशन की पोल खुलने का ये वाकया वन मुख्यालय में हुए ई संवाद के दौरान का है। एक महिला सरपंच ने कहा कि साहब वन पंचायतों के कामों में वन विभाग का कमीशन बहुत ज्यादा है। ये कम होना चाहिए। इतना सुनते ही हड़कंप मच गया। इस पर पीसीसीएफ जयराज ने कड़ी नाराजगी जताते हुए साफ कहा कि अगर ऐसी कोई शिकायत आयी तो सीधे उस वनकर्मी के खिलाफ बिना जांच कड़ी कार्रवाई होगी।
उन्होने सभी वन पंचायत सरपंचों को भी निर्देश दिए कि जो भी योजना का पैसा आए उससे वे खुद पंचायत के लोगों को ही काम पर लगाएं, ताकि पैसा उनमें ही बंटे। इससे कमिशन का खेल नहीं हेागा। इसके बावजूद भी अगर कहीं कोई फारेस्ट गार्ड या अन्य कमिशन की बात करे तो सीधे उन्हें गोपनीय शिकायत दें। पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए भी अन्य योजनाएं इसमें शामिल करने की मांग भी सरपंचों ने उठायी। बैठक में पीसीसीएफ वन पंचायत ज्योत्सना सितलिंग, डीएफओ देहरादून राजीव धीमान, डीएफओ मसूरी कहकशां नसीम और अन्य डीएफओ व सरपंच आनलाइन मौजूद शामिल हुए।

ग्राम पंचायतों से लिंक हो वन पंचायतें
संवाद के दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि वन पंचायतों को ग्राम पंचायतों से लिंक कर दिया जाए। ताकि केंद्र या राज्य से मिलने वाली सारी योजनाओं को पैसा जो पंचायतों को आता है वन पंचायतों को भी मिले। इसके लिए वन पंचायत अधिनियम और पंचायती राज अधिनियम में संशोधन की भी मांग उठी।

हर पांच साल में हो चुनाव
इसके अलावा कुछ सरपंचों ने ये भी मांग उठायी कि वन पंचायत के चुनाव हर पांच साल में हो जाएं। इसके लिए वन विभाग को जिम्मेदारी दे दी जाए। क्योंकि राजस्व के स्तर से चुनाव कई सालों से नहीं हो पाए। अभी प्रदेश में 12168 में से करीब पांच हजार पंचायतों में चुनाव नहीं हुए। जो दिसंबर में कराने की भी योजना है।

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