बिजली कर्मचारियों की मांग, हिमाचल और केरल की तर्ज पर तीनों निगमों का एकीकरण हो विद्युत परिषद का गठन, पुरानी एसीपी का लाभ देने को दिसंबर 2017 का सचिव ऊर्जा के लिखित समझौते को पूरा करने को बनाया दबाव
देहरादून।
बिजली कर्मचारियों ने हिमाचल और केरल की तरह ऊर्जा के तीनों निगमों के एकीकरण की मांग की। कहा कि एकीकरण विद्युत परिषद का गठन किया जाए। निजीकरण की बजाय ऐसा करना कहीं अधिक बेहतर है। पॉवर सेक्टर के निजीकरण से किसान, कर्मचारी, आम जनता सभी का नुकसान है। ऐसे निजीकरण का विरोध जारी रहेगा।
विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में शासन, सरकार के तीन साल से दिए जा रहे आश्वासनों पर सवाल उठाए गए। सचिव ऊर्जा की अध्यक्षता में दिसंबर 2017 को हुए लिखित समझौते के पालन न होने पर भी नाराजगी जताई गई। तय हुआ कि यदि मांगों का निस्तारण नहीं होता, तो आठ जनवरी को मोर्चा की आगामी बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
टर्नर रोड स्थित संघ भवन में हुई बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि तीनों ऊर्जा निगमों में कर्मयचारियों की समस्याओं पर कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। आज भी कर्मचारी आर्थिक नुकसान से बचने को एसीपी की पुरानी व्यवस्था 9,5,5 वर्ष को लागू करने की मांग कर रहा है। जबकि इस मांग को लेकर पहले दिसंबर 2017 और बाद में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव समेत कई स्तर पर आश्वासन मिल चुके हैं। इसके बाद भी मांग लागू न होने से हर महीने कर्मचारियों को चार हजार से लेकर 40 हजार रुपये महीने तक का वित्तीय नुकसान हो रहा है। पुरानी एसीपी के अनुसार पे मेट्रिक्स तय नहीं हो पा रही हैं। पुरानी पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। न ही जीपीएफ का लाभ। कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते तक रिवाइज नहीं हो रहे हैं।
पॉवर इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कार्तिकेय दुबे ने कहा कि कर्मचारियों ने सरकार को जरूरत से ज्यादा समय दिया है। इसके बाद भी यदि सरकार मांगों का निस्तारण नहीं कर पा रही है, तो इसमें कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है। पूरी जवाबदेही और जिम्मेदारी सरकार की है। बैठक में अमित रंजन को मोर्चा के सह संयोजक की जिम्मेदारी दी गई। बैठक में कार्तिकेय दुबे, मोर्चा संयोजक इंसारुल हक, डीसी ध्यानी, मुकेश कुमार, वाईएस तोमर, प्रदीप कंसल, केहर सिंह, प्रदीप प्रकाश शर्मा, जतिन सैनी, भानु प्रकाश जोशी, सुनील मोगा, भगवती प्रसाद, पंकज सैनी आदि मौजूद रहे।