कोरोना ने रोकी पेयजल योजनाओं की रफ्तार, श्रमिकों को गांव में आने नहीं दे रहे ग्रामीण, कई श्रमिक अपने गांव लौटे
देहरादून।
कोरोना ने पेयजल योजनाओं की रफ्तार भी रोक दी है। योजनाओं पर काम करने वाले श्रमिकों को ग्रामीण गांव में आने नहीं दे रहे। कई जगह श्रमिक ही अपने गांव लौट गए हैं। ऐसे में इन सभी का सीधा असर पेयजल योजनाओं के निर्माण पर पड़ रहा है।
इस बार कोरोना का असर शहरों के साथ गांवों में भी बढ़ा है। कई जगह गांव में कंटेनमेंट जोन भी बनाने गए हैं। गांव में कोरोना की इस स्थिति का सबसे अधिक असर पेयजल योजनाओं पर पड़ा है। रुद्रप्रयाग में ऊखीमठ, टिहरी में हटवाल गांव, मरोड़ा, मछियाण, थौलधार गांव, देहरादून में चकराता मरावना, चौसाला, लाहिरी, बायला, मसूरी भेड़ियाना गांव में ग्रामीण बाहरी श्रमिकों को गांव में आने नहीं दे रहे हैं। उन्हें डर है कि इन श्रमिकों से उनके गांव में कोरोना न फैल जाए।
इसी तरह पौड़ी के जयहरीखाल में मोलखंडी सकरी, धल्दा, बंदूण, यमकेश्वर में ढांसी, बांदनी, तोली, द्वारीखाल में पवेख, संदनिया, ग्वीनबड़ा, कोठार, दुगड्डा में धूरा धनई, रिखणीखाल में चौखूड़ी, बमबगांव में यही स्थिति है। रायपुर देहरादून ब्लॉक में नाहीकला, हल्दाड़ी, रामनगर डांडा, सौड़ा सरौली, सहसपुर में शंकरपुर हकमतपुर, डोईवाला में गडल गांव में पेयजल योजनाओं के निर्माण में दिक्कत आ रही है। जहां कंटेनमेंट जोन बने हैं, वहां स्थिति सबसे अधिक दिक्कत भरी है।
पाइप वेल्डिंग को नहीं मिल रहे ऑक्सीजन सिलेंडर
कई जगह काम ऑक्सीजन सिलेंडर न मिलने के कारण प्रभावित है। ऑक्सीजन का कमर्शियल इस्तेमाल न होने और सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ही मिलने के कारण वेल्डिंग को सिलेंडर नहीं मिल रहे हैं। इसका असर भी काम पर पड़ रहा है।
करीब 200 योजनाओं पर पड़ा है असर
इन दिक्क्तों का असर करीब 200 योजनाओं पर पड़ा है। 100 योजनाएं अकेले नाबार्ड के बजट वाली हैं। 50 योजनाएं राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, 50 राज्य सेक्टर की हैं। मसूरी में ही कई गलियां कंटेनमेंट जोन हैं। तो कुछ गलियों में एंबुलेंस जा सके, इसीलिए खुदाई पर रोक है। ऐसे में पेयजल योजना का काम बंद है।
कोरोना के कारण ग्रामीण पेयजल योजनाओं के काम में लगे श्रमिकों को गांवों में प्रवेश करने नहीं दे रहे हैं। इसके कारण पेयजल योजनाओं का काम प्रभावित है। कई जगह कंटेनमेंट जोन के कारण दिक्क्त है। तो कई स्थानों पर ग्रामीणों का विरोध बहुत अधिक है। करीब 200 योजनाओं के निर्माण पर इसका असर पड़ा है।
सुरेश चंद्र पंत, मुख्य अभियंता गढ़वाल