परिषद ने शासन को याद दिलाने पुराने आश्वासन, एसीपी का लाभ पदोन्नति के साथ 10, 16, 26 वर्ष पर न मिलने पर जताया रोष, प्रमोशन में शिथिलता का लाभ भी न मिलने पर शासन की भूमिका पर उठाए सवाल 

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परिषद ने शासन को याद दिलाने पुराने आश्वासन, एसीपी का लाभ पदोन्नति के साथ 10, 16, 26 वर्ष पर न मिलने पर जताया रोष, प्रमोशन में शिथिलता का लाभ भी न मिलने पर शासन की भूमिका पर उठाए सवाल

देहरादून।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने शासन को पूर्व में किए गए तमाम वादे याद दिलाए। वादों पर कार्रवाई न होने पर नाराजगी भी जताई। एसीपी का लाभ पदोन्नति के साथ 10, 16, 26 वर्ष पर न मिलने के लिए शासन के अफसरों को जिम्मेदार ठहराया। प्रमोशन में शिथिलता का लाभ भी न मिलने पर शासन की भूमिका पर सवाल उठाए।
परिषद के कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने कहा कि मांगों पर निस्तारण तो दूर अभी तक वार्ता तक के लिए नहीं बुलाया गया है। इससे शासन स्तर पर बरती जा रही लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है। शासन से लेकर विभागों तक में अफसर वार्ता को तैयार नहीं हैं। इसके कारण पदोन्नति जैसे अहम मसले लटके हुए हैं। कहा कि सातवें वेतनमान में एसीपी की नई व्यवस्था से कर्मचारियों को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। जो लाभ पहले 10, 16, 26 वर्ष पर मिलता था, वही लाभ अब 10, 20, 30 वर्ष पर मिल रहा है। कर्मचारियों के सामने प्रमोशन के मौके सीमित रह गए हैं। कहा कि कर्मचारी रिटायर भी हो जा रहे हैं, लेकिन उनके प्रमोशन तक नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में तत्काल एसीपी की पुरानी व्यवस्था लागू की जाए।
कहा कि तबादला एक्ट में भी तत्काल संशोधन किया जाए। महिलाओं को विशेष छूट दी जाए। उन्हें 50 साल के बाद दुर्गम स्थलों में न भेजा जाए। इसके लिए एक्ट में बदलाव किया जाए। कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कर्मचारियों को प्रमोशन में शिथिलता भी नहीं मिल पा रही है। जबकि पूरे सेवाकाल में कर्मचारियों को सिर्फ एकबार ही शिथिलता का लाभ मिलता है। वो भी शासन ने छीन लिया है।
परिषद ने उपनल कर्मचारियों की मांग भी तत्काल पूरी किए जाने पर जोर दिया। कहा कि जब हाईकोर्ट स्पष्ट आदेश कर चुका है, तो क्यों उपनल कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। क्यों अभी तक समान काम का समान वेतन लागू किए जाने के आदेश नहीं किए जा रहे हैं। क्यों सरकार हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंची। परिषद ने तत्काल सुप्रीम कोर्ट से केस वापस लेने की मांग की।

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