आईटीआई हरिद्वार के प्रिंसिपल धारीवाल निलंबित, लंबे समय तक बिना अनुमति के अनधिकृत रूप से रहे अवकाश पर, हरिद्वार में ज्वाइनिंग करते ही अपने ही आदेश से निकाल लिया रोके गए समय का वेतन

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आईटीआई हरिद्वार के प्रिंसिपल धारीवाल निलंबित, लंबे समय तक बिना अनुमति के अनधिकृत रूप से रहे अवकाश पर, हरिद्वार में ज्वाइनिंग करते ही अपने ही आदेश से निकाल लिया रोके गए समय का वेतन


देहरादून।

हरिद्वार आईटीआई के प्रिंसिपल पीके धारीवाल को सचिव कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग ने निलंबित कर दिया है। उन पर लंबे समय तक बिना अनुमति के अनधिकृत रूप से अवकाश पर रहने का आरोप है। पूर्व में हुए तबादला आदेशों का पालन न करने और अपने ही आदेश से रोके गए समय का वेतन निकालने के मामले में उन पर निलंबन की कार्रवाई अमल में लाई गई।
सचिव कौशल विकास विजय कुमार यादव की ओर से निलंबन आदेश जारी किए गए। प्रिंसिपल श्रेणी एक पीके धारीवाल का पहले एक जून 2022 को महिला आईटीआई देहरादून से अटैचमेंट समाप्त करते हुए मूल तैनाती स्थल अल्मोड़ा से पिथौरागढ़ तबादला कर दिया गया था। इस तबादला आदेश को भी नहीं माना गया। आदेश की अवहेलना करते हुए पिथौरागढ़ में कार्यभार ग्रहण नहीं किया गया। तब से वे लगातार 28 जुलाई 2022 तक बिना अनुमति के अनधिकृत अवकाश पर रहे। इस पर निदेशालय ने अग्रिम आदेशों तक बिना निदेशालय की अनुमति के वेतन न निकाले जाने के आदेश दिए।
इस बीच 29 जुलाई 2022 को पीके धारीवाल का तबादला आईटीआई हरिद्वार में तबादला कर दिया गया। 30 जुलाई को उन्होंने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया। कार्यभार ग्रहण करते ही उनकी ओर से बिना किसी स्वीकृति के अपने ही हस्ताक्षर से अपने ही वेतन भुगतान के आदेश जारी कर दिए। जबकि इस पर निदेशालय ने रोक लगा रखी थी। इसके बावजूद हरिद्वार ट्रेजरी से जून और जुलाई का रोका गया वेतन अवैधानिक रूप से निकाल लिया गया। इसे निदेशालय ने बड़ी अनियमितता माना। इस पर उन्हें निलंबित कर दिया गया। निलंबन के साथ उन्हें हल्द्वानी निदेशालय अटैच कर दिया गया है। शासन की अनुमति के बिना वे मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे।

पीके धारीवाल ने कई बार तबादला होने के बाद भी ज्वाइन नहीं किया। उन्होंने बताया कि वे श्रेणी वन के प्रिंसिपल हैं। इसके बाद भी उनका आईटीआई श्रेणी वन में तबादला नहीं किया जा रहा है। इस पर सचिव को नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए गए। उनका हरिद्वार तबादला हुआ। वहां ज्वाइन करते हुए उन्होंने अपना रुका हुआ वेतन बिना मंजूरी के निकाल लिया। साथ ही पत्र में लिखा कि उन्होंने मंत्री के आश्वासन पर अभी तक ज्वाइन नहीं किया था। ये सीधे तौर पर कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन है। इसी के तहत उन्हें निलंबित किया गया।
सौरभ बहुगुणा, कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री

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