सहकारी बैंकों में आउटसोर्सिंग के नाम पर भी गड़बड़ी, अपनी आउटसोर्स एजेंसी को छोड़ प्राइवेट ठेकेदारों से रखे जा रहे कर्मचारी, उपनल, पीआरडी तक का नहीं किया जा रहा है इस्तेमाल, कर्मचारियों को भी नुकसान
देहरादून।
राज्य के जिला सहकारी बैंकों में आउटसोर्सिंग के नाम पर भी गड़बड़ी हो रही है। राज्य की आउटसोर्स एजेंसी होने के बाद भी ठेकेदारों के जरिए युवाओं को रखा जा रहा है। यहां तक की अब तो सहकारिता ने स्वयं अपनी आउटसोर्स एजेंसी उत्तराखंड कॉपरेटिव लेबर कांट्रेक्ट फैडरेशन का गठन कर दिया है। इसके बाद भी इस फैडरेशन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
इस फैडरेशन का गठन ही इस बात के लिए किया गया है कि ताकि सहकारिता में तमाम आउटसोर्स से होने वाली भर्ती इसी के जरिए की जाए। इसके बाद भी सहकारी बैंक अपनी इस एजेंसी को भी तवज्जो नहीं दे रहे हैं। ठेकेदारों से रखे जाने वाले कर्मचारियों का भविष्य अधर में है। क्योंकि पिछले कुछ एक सालों में आए दिन बीच बीच में ठेकेदार ही बदल दिए जाते हैं।
पूरे राज्य में करीब 500 आउटसोर्स कर्मचारी इन ठेकेदारों के जरिए रखे गए हैं। इस व्यवस्था में अपने मन मुताबिक कर्मचारी रखने के साथ ही ठेकेदारों को भी बिना वजह का कमिशन का लाभ पहुंचाया जा रहा है। जो उन्हें बिना कुछ किए मिल रहा है। सिर्फ आउटसोर्स एजेंसी के नाम पर। यही कमीशन, सर्विस चार्ज राज्य की अपनी आउटसोर्स एजेंसी के पास जाने से वित्तीय लाभ भी सरकार को ही मिलता।
कई नेताओं की ही आउटसोर्स एजेंसी
जिन ठेकेदारों के नाम पर आउटसोर्स एजेंसी खुली हैं, उसमें कई छोटे छोटे नेताओं के नाम पर ही खुली हैं। यही वजह है, जो अपनी आउटसोर्स एजेंसी होने के बाद भी काम ठेकेदारों को दिया जा रहा है।
कर्मचारियों को भी नुकसान
उपनल, पीआरडी से कर्मचारियों को 14000 रुपये तक मिलता है। इसमें ईपीएफ का अलग से पैसा खाते में जमा होता है। दूसरी ओर सहकारी बैंकों में ठेकेदारों के जरिए 13635 रुपये मिलते हैं। इसी में ईपीएफ का 1648 रुपये भी कट जाता है। इस तरह वेतन सवा 12 हजार रुपये के करीब मिलता है।
सहकारिता में आउटसोर्स से रखे जाने वाले लोगों के लिए सहकारिता के ही फैडरेशन का गठन कर दिया गया है। इसमें सभी आउटसोर्स कर्मचारियों को जोड़ा जाना है। जो कर्मचारी फैडरेशन के गठन से पहले से लगे हैं, उन्हें भी इसी में शामिल किया जाना है। इसके बाद भी यदि अभी तक शामिल नहीं किए गए हैं, तो जल्द कार्रवाई करनी होगी।
धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री