त्रिवेंद्र सरकार में 1.78 लाख घरों के लिए पहली बार बनेगी पेयजल योजना, अभी तक हैंडपंप, प्राकृतिक स्रोतों पर ही निर्भर थे लोग 

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त्रिवेंद्र सरकार में 1.78 लाख घरों के लिए पहली बार बनेगी पेयजल योजना, अभी तक हैंडपंप, प्राकृतिक स्रोतों पर ही निर्भर थे लोग

देहरादून।

त्रिवेंद्र सरकार पहली बार राज्य के 1.78 लाख घरों को पेयजल योजनाओं से जोड़ने जा रही है। इन घरों के लिए आज तक कोई भी पम्पिंग वाटर सप्लाई स्कीम नहीं बनी। 599 गांव यहां ऐसे हैं, जहां घरों तक पानी पहुंचाने को कोई भी पाइप लाइन आधारित पेयजल योजना नहीं है। मैदानी क्षेत्रों में निजी ट्यूबवेल, सरकारी हैंडपंप और पहाड़ों पर स्रोतों के पानी पर लोग निर्भर हैं।
इन पेयजल योजना विहिन घरों की स्थिति अब जल जीवन मिशन योजना से सुधरेगी। इसके तहत इन घरों, गांवों के लिए योजनाओं के ताबड़तोड़ इस्टीमेट तैयार हो रहे हैं। अकेले हरिद्वार में ही पेयजल योजनाओं के 173 प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। अकेले हरिद्वार के लिए ही 750 करोड़ का बजट चाहिए। राज्य के कुल 39 हजार से अधिक बसावटों में से अभी भी 15218 गांव ऐसे हैं, जहां अभी लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिलता। इनमें 1.78 लाख ऐसे हैं, जहां पानी की योजना ही नहीं है। इस मामले में सबसे खराब स्थिति हरिद्वार जिले की है। यहां 290 गांवों के 1.20 लाख घरों के लिए पानी की योजना तैयार करनी होगी। ओवरहेड टैंक, ट्यूवबेल, पाइप लाइन का पूरा सिस्टम तैयार करना होगा। यूएसनगर में 224 गांव के 53238 घरों के लिए योजना तैयार करनी होंगी। नैनीताल के 35 गांव के 1831 घरों तक पानी पहुंचाने को योजनाएं तैयार करनी होंगी।

मैदानों से बेहतर है पहाड़ों के हालात
मैदानों की तुलना में पहाड़ की स्थिति बेहतर है। पहाड़ों में अल्मोड़ा के सात गांव के 345 घर, चमोली के सात गांव के 68 घर, चंपावत के एक गांव के 19 घर, पौड़ी नौ गांव के 419 घर, पिथौरागढ़ के सात गांव के 50 घर, रुद्रप्रयाग के दो गांव के 141 घर, टिहरी के छह गांव के 295 घर, उत्तरकाशी के 11 गांव के 830 घर ही ऐसे हैं, जहां कोई योजना नहीं है।

इन दो जिलों में शत प्रतिशत गांवों में पेयजल योजना
इस मामले में पूरे राज्य में सिर्फ देहरादून और बागेश्वर ही दो ऐसे जिले हैं, जहां शत प्रतिशत गांवों के लिए पेयजल योजना है। यहां सिर्फ इन योजनाओं से लोगों के घरों को पाइप लाइन से जोड़ा जाना है।

अफसरों की राय
वीसी पुरोहित, एमडी जल निगम ने बताया कि अभी इन क्षेत्रों में पेयजल के लिए हैंडपंप का इस्तेमाल किया जा रहा था। जल जीवन मिशन में अब इन क्षेत्रों के लिए पेयजल योजनाएं तैयार की जा रही हैं। तेजी के साथ इस्टीमेट तैयार हो रहे हैं। एसके शर्मा, सीजीएम जल संस्थान ने बताया कि हरिद्वार, यूएसनगर के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों के निजी नलकूप हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में जहां पेयजल योजनाएं हैं भी, वहां भी लोग सरकारी पानी के कनेक्शन नहीं लेते। अब इन क्षेत्रों के लिए पाइप लाइन बेस्ड पेयजल योजनाएं तैयार हो रही हैं।

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