राज्य में फिर महंगी हुई बिजली, सरचार्ज के रूप में बिजली बिलों पर पड़ा पांच पैसे से 86 पैसे प्रति यूनिट का भार, एक सितंबर से 31 मार्च तक हर महीने बिजली बिलों में होगी सरचार्ज के रूप में वसूली

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राज्य में फिर महंगी हुई बिजली, सरचार्ज के रूप में बिजली बिलों पर पड़ा पांच पैसे से 86 पैसे प्रति यूनिट का भार, एक सितंबर से 31 मार्च तक हर महीने बिजली बिलों में होगी सरचार्ज के रूप में वसूली


देहरादून।

आम जनता को बिजली के बिलों में सरचार्ज का एक बड़ा झटका विद्युत नियामक आयोग ने दे दिया है। ऊर्जा निगम के बिजली बिलों में सरचार्ज लगाने के प्रस्ताव को आयोग ने मंजूरी दे दी है। आम जनता समेत उद्योग, कमर्शियल समेत अन्य वर्गों के बिजली बिलों में एक सितंबर से 31 मार्च 2023 तक पांच पैसे से 86 पैसे प्रति यूनिट तक सरचार्ज के रूप में वसूला जाएगा।
ऊर्जा निगम ने महंगी बिजली खरीद के रूप में पड़े 1355 करोड़ के भार की भरपाई सरचार्ज के रूप में करने की मांग विद्युत नियामक आयोग से की थी। आयोग ने लंबी चली सुनवाई प्रक्रिया के बाद सिर्फ 379 करोड़ ही सरचार्ज के रूप में आम जनता से वसूलने की मंजूरी दी। शेष 976 करोड़ की भरपाई अगले साल के खर्चे से होगी। सरचार्ज के रूप में ये वसूली आम जनता से एक सितंबर 2022 से 31 मार्च 2023 के बीच बिजली बिलों से होगी। सिर्फ बीपीएल और स्नोबाउंड क्षेत्र वाले बिजली उपभोक्ताओं को ही सरचार्ज से राहत दी गई है। अन्य सभी श्रेणियों में सरचार्ज के रूप में भार बढ़ाया गया है।
घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की श्रेणी में 100 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं पर पांच पैसे, 101 से 200 यूनिट तक 20 पैसे, 201 से 400 यूनिट तक 30 पैसे, 400 यूनिट से अधिक पर 35 पैसे प्रति यूनिट का भार बढ़ाया गया है। अघरेलू श्रेणी के चार किलोवॉट तक वाले बिजली उपभोक्ताओं पर 30 पैसे, 25 किलोवॉट और इससे अधिक वालों और एलटी और एचटी उद्योगों पर भी 62 पैसे प्रति यूनिट तक का भार बढ़ाया गया है। होर्डिंग विज्ञापन पर 86 पैसे प्रति यूनिट सरचार्ज लगाया गया है।

महंगी बिजली खरीद का जनता पर पड़ा भार
रूस और यू्क्रेन की जंग के कारण बाजार में कोयले और गैस का संकट खड़ा हुआ। इसका सीधा असर कोयले और गैस से चलने वाले पॉवर प्लांट पर पड़ा। बाजार में बिजली की किल्लत और डिमांड बढ़ने पर पॉवर एक्सचेंज में रेट 20 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंचे। यूपीसीएल को मार्च, अप्रैल, मई में 20 रुपये के अधिकतम रेट पर भी बिजली खरीदनी पड़ी। बाद में बाजार में रेट अधिकतम 12 रुपये प्रति यूनिट तक फिक्स किए गए। अभी भी बाजार में पीक टाइम पर यही रेट है। इसके कारण यूपीसीएल पर आर्थिक भार बढ़ता चला गया। जिसकी भरपाई उसने सरचार्ज के रूप में करने का प्रस्ताव भेजा।

छह महीने में दूसरी बार पड़ा भार
आम जनता पर महंगी बिजली का भार छह महीने के भीतर दूसरी बार पड़ने जा रहा है। इससे पहले आयोग ने मार्च में रेट बढ़ाए थे। जो एक अप्रैल से लागू हो गए थे। इसके बाद यूपीसीएल ने दोबारा बिजली के रेट बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा, जिसे आयोग ने खारिज कर दिया। इसके बाद भी फिर यूपीसीएल ने रेट बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा। इस बार सरचार्ज के रूप में राहत देने की मांग की गई, जो कुछ कटौती के बाद मंजूर हो गया।

अप्रैल में फिर बढ़ जाएंगे रेट
आम जनता पर एक अप्रैल 2023 से एकबार फिर महंगी बिजली का भार पड़ेगा। 31 मार्च 2023 तक उसे सरचार्ज के रूप में अतिरिक्त बिल देना पड़ेगा। उसके बाद एक अप्रैल से नए बढ़े हुए टैरिफ का भुगतान करना होगा। इसके लिए यूपीसीएल को 30 नवंबर तक वर्ष 2023-24 के लिए नई बिजली दरों का प्रस्ताव आयोग को भेजना होगा।

बाजार से महंगी बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई गई। इससे यूपीसीएल पर 1353 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ा। आयोग ने सिर्फ 379 करोड़ ही सरचार्ज से वसूलने की मंजूरी दी है। जो बेहद कम है। मौजूदा समय में भी बाजार में पीक टाइम पर बिजली के रेट 12 रुपये प्रति यूनिट से कम नहीं है। ऐसे में यूपीसीएल कैसे तीन रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली उपलब्ध करा पाएगा। अन्य राज्यों में सरचार्ज खुद ही बढ़ जाता है। पूरी राहत न मिलने से सर्दियों में बिजली की व्यवस्था करने में दिक्कत आ सकती है।
अनिल कुमार, एमडी यूपीसीएल

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