कर्मचारियों ने गिनाई तबादला एक्ट में खामियां, मौजूदा तबादला एक्ट को कर्मचारी संगठनों ने बताया कि पूरी तरह अव्यवहारिक, संशोधन के बाद ही लागू करने की मांग 

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कर्मचारियों ने गिनाई तबादला एक्ट में खामियां, मौजूदा तबादला एक्ट को कर्मचारी संगठनों ने बताया कि पूरी तरह अव्यवहारिक, संशोधन के बाद ही लागू करने की मांग

देहरादून।

सरकार के तबादला एक्ट को शत प्रतिशत लागू करने की घोषणा को लेकर कर्मचारी संगठनों ने सवाल उठाए हैं। कर्मचारी संगठनों का तर्क है कि उन्हें एक्ट से दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार को एक्ट की विसंगतियों को दूर करना चाहिए। उसकी खामियों को दुरुस्त करना चाहिए। उसके अव्यवहारिक पक्षों में संशोधन होना चाहिए। तबादले में छूट को महिलाओं के लिए उम्र 50 वर्ष और पुरुष के लिए 52 वर्ष किया जाए। दुर्गम भत्ता दिया जाए। दुर्गम वाले से सुगम का आवास खाली न कराया जाए।
पंचम सिंह बिष्ट, महामंत्री उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन ने कहा कि संशोधन की मांग की थी। कर्मचारी को गृह तहसील में रहने का मौका दिया जाए। 50 साल से ऊपर की महिलाओं को छूट दी जाए। एक्ट को दस प्रतिशत के दायरे से बाहर लाया जाए। क्योंकि इससे एक्ट का कोई औचित्य नहीं रह जाता। संगठनों की राय को जरूर शामिल किया जाए।
अरुण पांडे, कार्यकारी महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा कि समिति, सरकार के समक्ष एक्ट की खामियां रखी गईं। आज तक उन्हें दूर नहीं किया गया। एक ही जगह एक विभाग में सुगम और दूसरे स्थान पर दुर्गम है। फील्ड कर्मचारियों की तैनाती स्थल मुख्यालय को आधार मान कर सुगम दुर्गम निर्धारण कर दिया गया। जबकि उसकी तैनाती दुर्गम में है। इन केस में मुख्यालय को न देखा जाए, बल्कि कार्यक्षेत्र देखा जाए। स्वेच्छा से आने वाले कर्मचारियों को दस प्रतिशत से बाहर रखा जाए।

एक्ट की दस प्रतिशत की सीमा को बढ़ाया जाए। धारा 27 का उपयोग नहीं होना चाहिए। सालों से दुर्गम में रहने वालों को भी सुगम में आने का मौका दिया जाए। इंजीनियरों के लिए सुगम दुर्गम का निर्धारण मुख्यालय की बजाय कार्यक्षेत्र के अनुसार होना चाहिए। क्योंकि अक्सर मुख्यालय में तैनाती होने के बावजूद कार्यक्षेत्र दुर्गम में रहते हैं।
अजय बेलवाल, महामंत्री उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ

एक्ट में सिर्फ दस प्रतिशत ही तबादले का प्रावधान है। इसके कारण कर्मचारियों के प्रमोशन प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि सभी कर्मचारी दुर्गम में सेवा का अपना समय ही पूरा नहीं कर पा रहे हैं। सरकार दस प्रतिशत की जगह शत प्रतिशत लागू करे। यदि दस प्रतिशत ही रखना है, तो इसे पदोन्नति की प्रक्रिया से हटा दिया जाए। संगठनों के सुझावों को माना जाए।
पूर्णानंद नौटियाल, महामंत्री उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन

निगम कमर्शियल विभाग है। यहां तबादला आदेशों को कई बार इग्नोर भी करने पड़ते हैं। निगमों के लिहाज से तबादला एक्ट थोड़ा लचीला होना चाहिए। क्योंकि निगमों की स्थिति राज्य कर्मचारियों के समान नहीं है। निगमों को छूट दी जानी चाहिए।
वीएस रावत, महासचिव उत्तराखंड राज्य अधिकारी कर्मचारी निगम

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