राज्य के पॉवर इंजीनियर्स भी किसानों के समर्थन में आगे आए, कृषि कानूनों के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 का भी किसान कर रहे हैं विरोध
देहरादून।
राज्य के पॉवर इंजीनियर्स भी किसानों के समर्थन में आगे आ गए हैं। कृषि कानूनों के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 का भी किसान विरोध कर रहे हैं। एसोसिएशन अध्यक्ष युद्धवीर सिंह तोमर और महासचिव मुकेश कुमार ने कहा कि कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन को एसोसिएशन ने अपना पूरा समर्थन देने का निर्णय लिया है। क्योंकि किसान जिस इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 का विरोध कर रहे हैं, उसका एसोसिएशन भी लगातार विरोध कर रही है। इस बिल के पास होते ही किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी की सुविधा समाप्त हो जाएगी। बिल में साफ है कि बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी। सरकार डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत किसानों को सब्सिडी का लाभ दे सकती है, लेकिन इसके लिए पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना होगा। जो किसानों के लिए संभव नहीं है।
महासचिव मुकेश कुमार ने कहा कि किसानों का मानना है कि बिजली के निजीकरण से पॉवर सेक्टर पर निजी घरानों का कब्जा हो जाएगा। निजी क्षेत्र मुनाफे के लिए काम करते हैं। ऐसे में बिजली की दरें किसानों की पहुंच से दूर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि किसानों की शंकाए पूरी तरह सही हैं। क्योंकि निजीकरण के बाद बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी। किसानों को हर महीने आठ से दस हजार रुपये न्यूनतम बिजली का भुगतान करना होगा।