इंजीनियरिंग के साथ वित्त, एचआर संवर्ग को भी मिले एमडी पद पर मौका, ऊर्जा निगमों में लागू हों केंद्र के नियम, नैनीडांडा क्षेत्र विकास कल्याण समिति ने सीएम से की मांग
देहरादून।
नैनीडांडा क्षेत्र विकास कल्याण समिति ने ऊर्जा निगमों में केंद्रीय सार्वजनिक विद्युत उपक्रमों के नियम लागू करने की मांग की। जिसके तहत एमडी पद पर इंजीनियरिंग संवर्ग के साथ वित्त व मानव संसाधन को भी मौका देने की मांग की गई।
समिति के अध्यक्ष सतीश घिल्डियाल और सचिव अर्जुन पटवाल ने कहा कि अभी तक ऊर्जा निगमों में सिर्फ इंजीनियरिंग संवर्ग के लोगों को ही मौका मिला है। इसके बाद भी ऊर्जा निगमों को करोड़ों का घाटा हुआ है। जबकि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में अध्यक्ष व एमडी पद पर निदेशकों को भी मौका दिया जाता है। राज्य में वर्ष 2016 में निदेशक पद पर दो वर्ष का अनुभव रखने वाले सिर्फ स्नातकधारियों को मौका देने का नियम तैयार हुआ। बाद में इसे बदल दिया गया। इसके कारण अभी 2017 में 288.78 करोड़, 2018 में 229.22 करोड़, 2019 में 553.23 करोड़, 2020 में 577.31 करोड़ का नकद नुकसान हुआ। इसके लिए सीधे तौर पर इंजीनियरिंग संवर्ग के एमडी जिम्मेदार हैं।
इन्हीं प्रबंध निदेशकों के कारण 71 करोड़ की बिजली खरीद, 32 करोड़ का जिटको, सिंगल कोटेशन पर करोड़ों की खरीददारी, टेंडर घोटालों की जांच शासन स्तर पर चल रही है। हिमाचल में लाइन लॉस 10 प्रतिशत है, तो उत्तराखंड में 16 प्रतिशत है। ऐसे में इस बार केंद्रीय उपक्रमों के समान सभी संवर्गों के निदेशकों को समान अवसर प्रदान किया जाए। जब एनटीपीसी, एनएचपीसी, टीएचडीसी, पीजीसीआईएल जैसे नवरत्न कंपनियों में भर्ती के नियम एक समान है, तो वही नियम राज्य में भी लागू किए जाएं।