ग्रीन बोनस को लेकर नीति आयोग उपाध्यक्ष के बयान पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने उठाए सवाल, केंद्र और राज्य सरकार को जमकर घेरा
देहरादून।
पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के ग्रीन बोनस पर संयुक्त राष्ट्र संघ में माँग करने की माँग पर सवाल उठाए। उन्होंने चुटकी लेने के अंदाज में घेरते हुए कहा की क्या संघीय व्यवस्था में राज्य सरकारें सीधे संयुक्त संघ में अपने मामले उठा सकती हैं। यदि परस्पर राज्यों के विभिन्न मामले सीधे संयुक्त राष्ट्र संघ में राज्य उठाने लगेंगे तो बहुत अटपटी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष का हैस्को ग्राम पहुंचना बहुत अच्छा रहा, लेकिन उन्होंने ग्रीन बोनस को लेकर एक अटपटा बयान दिया है। जो हमारे जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। हमको केवल एक बार केंद्र सरकार ने ग्रीन बोनस दिया है, वो भी यूपीए की सरकार के वक्त में मिला है। मगर सरकार बदलने के साथ ही ग्रीन बोनस का मामला समाप्त हो गया। इस बार उम्मीद जगी थी, मगर उस उम्मीद पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष महोदय ने कह कर पानी डाल दिया है। बल्कि पानी भी विषैला डाला है।
उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड को यूएनओ के पास ग्रीन बोनस को अपील करनी चाहिये थी। क्या संघीय व्यवस्था में राज्यों को यह अनुमति है कि वो अपने ग्रीन बोनस या दूसरे किसी भी मांग को लेकर के संयुक्त राष्ट्र संघ में जा सकें। हमको ऐसा रास्ता दिखा दिया कि हम घर मांग रहे थे और हमसे कहा कि वो आसमान पर चंद्रमा है, वहां आपके लिए घर बनाया जाएगा। आप वहां चले जाइए। ये उत्तराखंड के विवेक पर एक चोट है, एक अपमान है। इसकी क्षतिपूर्ति तभी हो सकती है, जब नीति आयोग उत्तराखंड को पर्यावरणीय सेवाओं के लिए ग्रीन बोनस देने की केंद्र सरकार के पास संस्तुति करें। कहा कि डबल इंजन की सरकार ने उत्तराखंड को निराश किया है।