उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया वसूलने का मामला फिर से तूल पकड़ता नजर आ रहा है दरअसल हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के काल में उनके द्वारा ली गईं सुविधाओं का बकाया जमा करने का आदेश दिया था. जिसके बाद इनके बचाव में उत्तराखंड सरकार ने एक एक्ट पारित किया था लेकिन हाईकोर्ट ने इस एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए इन राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि 6 माह के अंदर बकाया रकम जमा किया जाना सुनिश्चित किया जाए. इन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 16 करोड़ से अधिक का बकाया है.
जीटी रिपोर्टर देहरादून
अब इस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की जा रही है. देहरादून की रुलेक संस्था ने अवमानना याचिका दाखिल करने से पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अनुच्छेद 361 के तहत नोटिस जारी कर किया है कि उन्होंने 3 मई 2019 के आदेश का पालन अब तक नहीं किया है. इसके साथ ही पूरे मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ,रमेश पोखरियाल निशंक व विजय बहुगुणा के खिलाफ भी याचिका दाखिल होने जा रही है. दरअसल किसी भी राज्यपाल के खिलाफ अदालत में याचिका दाखिल करने से पहले उन्हें संविधान के अनुच्छेद 361 के अंतर्गत दो महीने पहले नोटिस दिया जाता है.
बता दें कि 3 मई 2019 को उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया मामले में आदेश जारी कर 6 महिने के भीतर सुविधाओं का बकाया देने आदेश दिया था. साथ ही सरकार से कहा था कि इनके अन्य भत्तों का भी ब्यौरा तैयार कर उनसे वसूली की जाए. हाईकोर्ट में अपने आदेश में सरकार को निर्देश दिया था कि अगर ये पैसा जमा नहीं करते हैं तो इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई (legal action) भी की जा सकती है. हालांकि बाद में राज्य सरकार इसके बचाव में एक एक्ट लेकर आई थी जिसको हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया था. अब इन मुख्यमंत्रियों से अब तक वसूली न होने के लिये राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना का केस दर्ज होने जा रहा है.
रुलेक संस्था के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि राज्यपाल को पार्टी बनाने से पहले कानूनी प्रकिया का पालन करना जरूरी है. इसलिए उनको नोटिस सर्व की गई है. लेकिन अन्य मुख्यमंत्रियों व सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की है. इन बकायेदारों ने अब तक पैसा जमा नहीं किया है. जबकि 3 नवंबर को हाईकोर्ट के आदेश की मियाद पूरी हो गयी है. अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि बंगले व सुविधाओं का लगभग 16 करोड़ के आसपास बकाया है जिसमें राज्य सरकार को अन्य खर्चे भी जोड़ना है लेकिन राज्य सरकार ने अब तक आदेश का पालन नहीं किया है इसलिए उसके खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की जा रही है.