शासन पर कर्मचारी संगठनों के साथ भेदभाव का आरोप, कुछ वीआईपी संगठनों को दिया जा रहा वीआईपी ट्रीटमेंट, अनदेखी पर आंदोलन की चेतावनी

देहरादून।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने शासन कर्मचारी संगठनों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। दो टूक कहा कि कुछ कर्मचारी संगठनों को वीआईपी ट्रीटमेंट देते हुए बार बार वार्ता को बुलाया जा रहा है। इसका विरोध होगा।
परिषद की बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि महिला कल्याण बाल विकास, स्वास्थ्य, उद्यान, ग्राम्य विकास, आईटीआई, रजिस्ट्रार, लेखा परीक्षा, वाणिज्य कर, श्रम, मंडी परिषद, नगर नियोजन, गन्ना, ग्राम पंचायत, कोषागार, डीएसओ, तहसील, आबकारी, परिवहन, सिंचाई, लोनिवि, मत्स्य, भूतत्व एवं खनिकर्म में प्रमोशन लटके हुए हैं। शासन स्तर पर कार्मिक विभाग से वार्ता में तय हुआ था कि सभी विभागों में जल्द से जल्द प्रमोशन कर दिए जाएंगे। इसके बाद भी न तो प्रमोशन किए गए। न ही एसीपी से जुड़े मसले सुलझाए गए। एसीआर को लेकर भी कोई बदलाव नहीं किया गया। इससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। बैठक में तय हुआ कि यदि 15 दिन के भीतर मांगों पर कार्रवाई नहीं होती, तो एक फरवरी से आंदोलन होगा।
बैठक में सरकार, शासन पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए पदाधिकारियों ने कहा कि सिर्फ कुछ वीआईपी संगठनों को ही बार बार वार्ता को बुलाया जा रहा है। कर्मचारी हितों के लिए संघर्षरत रहने वाले संगठन की उपेक्षा हो रही है। इसे लेकर जल्द शहरी विकास मंत्री और मुख्य सचिव के समक्ष अपना पक्ष रखा जाएगा। कर्मचारी परिषद की बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि पूरे प्रदेश में कर्मचारी, शिक्षकों, निगम कर्मचारियों, जिला पंचायत कर्मचारियों, उपनल कर्मचारियों के लिए प्रदेश एक समान व्यवस्था लागू की जाए। एक शासनादेश का लाभ सभी कर्मचारियों को एक समान रूप से दिया जाए।बैठक में ठाकुर प्रहलाद सिंह, शक्ति प्रसाद भट्ट, ओमवीर सिंह, नंदकिशोर त्रिपाठी, अरुण पांडे, राकेश ममगाईं, गुड्डी मटूडा, दिशा बड़ोनी, रेनू लांबा, पीएल बड़ोनी, वीएस रावत, सुनील देवली, हरेंद्र रावत, अनिल टम्टा, एसपी सेमवाल, पीसी सैनी, सुभाष चंद्र, दिनेश जोशी, हरेंद्र रावत आदि मौजूद रहे।