देहरादून।
लोकसभा चुनाव में गढ़वाल सीट से चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल हीरो बने हुए हैं। कांग्रेस संगठन और उसके बड़े नेता भले ही हाशिए पर जा रहे हों, लेकिन गणेश गोदियाल का कद दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटोला को बदरीनाथ उपचुनाव जितवा कर तो गोदियाल का कद पार्टी के भीतर और विशालकाय हो गया है। अब गोदियाल ने पूरा जोर केदारनाथ उपचुनाव में लगा रखा है। कांग्रेस प्रत्याशी चयन से लेकर प्रचार की बागडोर पूरी तरह गोदियाल संभाले हुए हैं। जिस तरह उन्होंने मनोज रावत को केदारनाथ का टिकट प्रदेश संगठन को पूरी तरह किनारे रख दिलवाया, उससे उन्होंने पार्टी के भीतर अपने कद का अहसास सभी छोटे बड़े नेताओं को कायदे से करवा दिया है। भले ही प्रदेश संगठन तमाम हाय तौबा मचाता रह गया हो। गोदियाल के इस बढ़ते कद से पार्टी के भीतर भी नेताओं, कार्यकर्ताओं ने मान लिया है कि 2027 में गोदियाल ही कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद का चेहरा हो गए हैं। ऐसे में हरदा, प्रीतम, यशपाल समेत तमाम दूसरे नेता अब संरक्षक मंडल की भूमिका में रह गए हैं।
गोदियाल ने कांग्रेस के भीतर न सिर्फ पूरे गढ़वाल मंडल, बल्कि कुमाऊं में भी अपना दखल बढ़ा दिया है। केंद्रीय आलाकमान भी लगातार उन पर भरोसा जताए हुए हैं। लोकसभा चुनाव में भी अमेठी के प्रचार में जिस तरह गोदियाल का इस्तेमाल किया गया, उसने प्रदेश कांग्रेस को दो टूक संदेश देने का काम किया है। गोदियाल भी कांग्रेस के पुराने क्षत्रपों से दूरी बनाते हुए अपनी एक अलग लाइन तैयार करने में लगे हैं। जहां कांग्रेस प्रदेश संगठन या किसी अन्य बड़े नेता का कोई कार्यक्रम होता है, उससे हट कर वे गढ़वाल मंडल के गांव गांव भ्रमण के अपने व्यक्तिगत कार्यक्रम को अधिक तवज्जो देते हैं। केदारनाथ उपचुनाव भी कांग्रेस के लिहाज से पूरी तरह गोदियाल के आस पास जाकर सिमट गया है।
केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता की कोई भूमिका नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस के मौजूदा विधायकों, जिला, महानगर, ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों ने भी एक तरह से स्वीकार कर लिया है कि अब गोदियाल ही कांग्रेस का भविष्य हैं। ऐसे में यदि केदारनाथ चुनाव में भी कांग्रेस बदरीनाथ की तरह चौंकाने वाले परिणाम ले आती है, तो फिर कांग्रेस के भीतर गोदियाल के कद के नीचे बाकि सभी क्षत्रप बौने साबित होंगे। पूर्व सीएम हरदा को छोड़ कोई भी दूसरा नेता गोदियाल के आसपास कहीं नहीं ठहरेगा। हरदा भी 2027 तक उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुके होंगे, जहां उनके लिए भी गोदियाल का मुकाबला करना आसान न होगा। ऐसे में अब कांग्रेस के भीतर गोदियाल का कद पार्टी संगठन से भी कहीं अधिक ऊंचा नजर आ रहा है।