कई विभागों में पद खाली होने के बाद भी समय पर नहीं हो पा रहे हैं प्रमोशन, जल निगम, शिक्षा, रोडवेज, मिनिस्टीरियल कैडर में प्रमोशन में हो रही है देरी, प्रमोशन में देरी पर उत्तराखंड के कर्मचारी नाराज 

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कई विभागों में पद खाली होने के बाद भी समय पर नहीं हो पा रहे हैं प्रमोशन, जल निगम, शिक्षा, रोडवेज, मिनिस्टीरियल कैडर में प्रमोशन में हो रही है देरी, प्रमोशन में देरी पर उत्तराखंड के कर्मचारी नाराज

देहरादून।

प्रमोशन में देरी पर उत्तराखंड के सरकारी और निगमों के कर्मचारी नाराज हैं। कई विभागों में खाली पद होने के बाद भी प्रमोशन की प्रक्रिया अटकी हुई है। कहीं प्रमोशन के लिए दुर्गम सेवा के सख्त मानक और तबादले न होने के कारण प्रमोशन अटके हुए हैं। इन तमाम उलझनों से कर्मचारी आजिज आ गए हैं। एक साल कोरोना संकट के कारण शांत रहने के बाद चुनावी साल में कर्मचारी हल्ला बोल के मूड में हैं।
सभी कर्मचारी संगठन प्रमोशन में देरी के खिलाफ आवाज बुलंद करने जा रहे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने तो विभागवार घेरेबंदी भी शुरू कर दी है। विभागीय अफसरों का घेराव किया जा रहा है। मिनिस्टीरियरल फैडरेशन भी आंदोलन की तैयारी में है। कर्मचारी संगठनों की नाराजगी की अहम वजह, शासन स्तर से आश्वासन मिलने के बाद भी प्रमोशन प्रक्रिया में तेजी न आना है।
अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी के साथ हुई वार्ता में तय हुआ था कि एक महीने के भीतर कर्मचारियों के प्रमोशन हो जाएंगे। यही आश्वासन ऊर्जा के तीनों निगमों में भी सचिव ऊर्जा राधिका झा ने भी दिया था। इसके बावजूद अभी तक न सरकारी महकमे और न ही ऊर्जा के निगम आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। खाली पदों पर कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर तो लेने को तैयार हैं, लेकिन अपने विभागीय कर्मचारियों के प्रमोशन को अफसर तैयार नहीं हो रहे हैं।
प्रमोशन को लेकर शासन स्तर से एक महीने में कार्रवाई के आश्वासन दिए गए। सचिव भूपेंद्र सिंह मनराल भी विभागीय अफसरों को रिमाइंडर जारी कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई आदेश मानने को तैयार ही नहीं है।

कोरोना निपटने के बाद चुनावी साल में आक्रामक तेवर
कर्मचारी प्रमोशन को लेकर वर्ष 2020 में भी आंदोलन की तैयारी में थे, लेकिन कोरोना के आतंक ने कर्मचारियों को बैकफुट पर रखा। अब स्थिति सामान्य होने पर कर्मचारी चुनावी साल में आंदोलन की तैयारी में हैं। सभी संगठन सिलसिलेवार आंदोलन खड़ा करने जा रहे हैं।

जब अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी जैसी वरिष्ठ अफसर के आदेश अफसर नहीं मान रहे हैं, तो कैसे सरकारी आश्वासनों पर भरोसा किया जाए। एक नहीं कई कई बार आश्वासन दिए जा चुके हैं। इसके बाद भी प्रमोशन जहां के तहां अटके हुए हैं।
अरुण पांडे, कार्यकारी महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद

प्रमोशन के मामले में सबसे बुरी स्थिति मिनिस्टीरियल कर्मचारियों की है। मानक अनुसार प्रमोशन को दुर्गम की सेवा जरूरी है। तबादला एक्ट में दस प्रतिशत का प्रावधान है। इस लिहाज से कर्मचारियों के प्रमोशन हो नहीं पा रहे हैं। इसके कारण प्रमोशन प्रक्रिया ही उलझ कर रह गई है।
पूर्णानंद नौटियाल, महामंत्री उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन

टीजी टू से जेई पद पर प्रमोशन में सालों से अटके हुए हैं। जबकि सभी पद खाली हैं। यही स्थिति सहायक लेखाकार के पद की है। जेई, एई समेत तमाम मिनिस्टीरियल कैडर के पद खाली पड़े हैं। प्रमोशन न होने से कई कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो रहे हैं।
डीसी गुरुरानी, अध्यक्ष ऊर्जा ऑफिसर्स सुपरवाइजर्स एंड स्टाफ एसोसिएशन

जब प्रमोशन के पद खाली हैं। तो क्यों अपने ही कर्मचारियों के प्रमोशन नहीं किए जा रहे हैं। क्यों लोग प्रतिनियुक्ति पर बुलाए जा रहे हैं। इससे साफ है कि मंशा प्रमोशन न करने की है। सबसे बुरी स्थिति यूपीसीएल में है। यहां अफसरों की धींगामस्ती का खामियाजा छोटे कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।
इंसारुल हक, संयोजक विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा

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