कर्मकार बोर्ड की गड़बड़ी में फंसे श्रम विभाग के इंस्पेक्टर
देहरादून।
कर्मकार बोर्ड की तमाम गड़बड़ियों में गाज लेबर इंस्पेक्टरों पर गिरती नजर आ रही है। जो सामान आया और जो बांटा गया, जिसका हिसाब नहीं मिल रहा है, उन सारे सामान की रिसीविंग लेबर इंस्पेक्टर ने ले रखी है। मुख्यालय को भी इंस्पेक्टरों ने रिसीव किए हुए सामान का ब्यौरा भेजा है। लेकिन ये सामान किन लाभार्थियों को बांटा गया, इसका ब्यौरा नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में शक के दायरे में इंस्पेक्टर आ रहे हैं। इसके साथ ही सामान किस आधार पर श्रमिकों की बजाय जनप्रतिनिधियों को थमा दिया गया, इसका भी जवाब इंस्पेक्टरों के पास नहीं है। नियमानुसार भवन निर्माण से जुड़ा श्रमिक अपनी जरूरत स्थानीय लेबर इंस्पेक्टर को बताएगा। उसके अनुसार डिमांड बोर्ड को भेजी जाती है। सामान मिलने पर लेबर इंस्पेक्टर सीधे श्रमिक तक सुविधा पहुंचाना सुनिश्चित करता है। उत्तराखंड में इस मामले में सब कुछ उल्टा हुआ। डिमांड इंस्पेक्टर की बजाय विधायक, प्रधान, पार्षद समेत अन्य जनप्रतिनिधियों पर आई। लेबर इंस्पेक्टरों ने सामान सीधे श्रमिकों को बांटने की बजाय जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराया। यही वजह है, जो जांच में अभी तक आंकड़ों का मिलान नहीं हो पा रहा है।