देहरादून।
सीएम पुष्कर सिंह धामी की ओर से की जा रही ताबड़तोड़ मेहनत, भागदौड़ से यही साबित हो रहा है कि भागदौड़ भरी इस दुनिया में थकना मना है। सीएम सुपरमैन की रफ्तार से हर मोर्चे पर मुस्तैद नजर आ रहे हैं। सरकारी विभागीय कामकाज हो या पार्टी संगठन की जरूरत के अनुसार चुनावी रैलियों में समय देना, सीएम धामी हर काम में अपना शत प्रतिशत दे रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में सीएम की भागदौड़ और मोर्चे पर खुद मौजूद रहने की क्षमता ने विरोधियों को भी चौंकाते हुए सोचने पर मजबूर कर दिया है। सीएम धामी ने अपनी इस मेहनत के दम पर एक लंबी सियासी लकीर खींच दी है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सात और आठ जुलाई को बदरीनाथ विधानसभा के उपचुनाव में ताबड़तोड़ प्रचार कर पार्टी को कम्फर्ट जोन में लाकर खड़ा कर दिया। आठ जुलाई को दिन भर ताबड़तोड़ प्रचार कर शाम को सीएम धामी ने पौड़ी में ताबड़तोड़ बैठकें कर अफसरों को पौड़ी के खोए गौरव को लौटाने के लिए युद्धस्तर पर काम करने के निर्देश दिए। नौ जुलाई की सुबह की सैर में पौड़ी के लोगों से सीधा संवाद स्थापित कर उनके दिल को छूने का काम किया। दोपहर में हल्द्वानी, यूएसनगर जिले में आपदा, बाढ़ से हुए नुकसान का ग्राउंड जीरो पर जाकर न सिर्फ जायजा लिया, बल्कि लोगों की तकलीफों को दूर करने के निर्देश अफसरों को दिए।
इसके बाद सीएम धामी सीधे देहरादून लौटे। जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर कठुआ में शहीद हुए पांच बलिदानी जवानों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इसके बाद सीएम धामी फिर दिल्ली लौट गए। रात में विधायक केदारनाथ शैला रानी रावत के निधन की सूचना मिलते ही सीएम बुधवार को सीधे देहरादून पहुंचे। यहां भाजपा मुख्यालय पहुंच श्रद्धांजलि अर्पित की। इतनी भागदौड़ के बाद भी आराम करने की बजाय सीएम धामी फिर सीधे दिल्ली लौट गए। दिल्ली में भी दोपहर से लेकर देर शाम तक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। सीएम धामी की इस रफ्तार ने उनके पायलट की पेशानी पर भी बल ला दिए हैं। सीएम धामी की सुपरमैन सरीखी रफ्तार के कारण ही आज महज तीन साल के कार्यकाल में उत्तराखंड की छवि पूरे देश, दुनिया में बदली हुई है। पांच लोकसभा सीटों वाले उत्तराखंड की पहचान आज तेजी से उभरते राज्यों में है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद हर मोर्चे पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की पीठ थपथपाने से नहीं चूकते।
जबकि पहले उत्तराखंड में नेता अपने दिन भर के तय कार्यक्रमों तक में नहीं पहुंच पाते थे। सुबह के एक दो कार्यक्रमों को करने के बाद अकसर दोपहर बाद के कार्यक्रमों को नेता छोड़ देते थे। कई बार आयोजक अंतिम समय तक नेताओं का इंतजार करते करते थक निराश तक हो जाते थे। आज का उत्तराखंड का युवा नेतृत्व न सिर्फ तय समय पर कार्यक्रमों में पहुंच रहा है, बल्कि हर मोर्चे पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रहा है। सीएम धामी की इस रफ्तार ने राज्य के लोगों में उभरते विकसित उत्तराखंड की आस जगा दी है। लोगों का कहना है कि शायद पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम धामी की इसी रफ्तार को देख ये घोषणा की थी कि आने वाला दशक उत्तराखंड का दशक होगा।