जल निगम में इंजीनियरों तबादलों पर बवाल, सवालों के घेरे में प्रबंधन, रसूखवाले घूम रहे सब देहरादून हरिद्वार 

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जल निगम में इंजीनियरों तबादलों पर बवाल, सवालों के घेरे में प्रबंधन, रसूखवाले घूम रहे सब देहरादून हरिद्वार

देहरादून।

जल निगम में इंजीनियरों के तबादलों पर बवाल मच गया है। 32 जेई और 17 एई के तबादलों को लेकर प्रबंधन फिर सवालों के घेरे में है। सबसे अधिक सवाल रसूखवाले वाले इंजीनियरों के 15 साल से घूम फिर कर देहरादून और हरिद्वार के बीच होने वाले तबादलों को लेकर है। इसी के बीच पेयजल निगम में कोरोना महामारी और तीन महीने से मौजूद वेतन संकट के बीच हुए बंपर तबादलों का विरोध शुरू हो गया है। तबादलों में 55 साल से ज्यादा वाले इंजीनियरों को पहाड़ से न उतारने और जल्द रिटायर होने वालों के तबादले किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। युवा इंजीनियरों को अपने 15 साल की नौकरी में देहरादून, हरिद्वार के बीच ही घुमाने पर प्रबधंन सवालों के घेरे में है।
कर्मचारी संगठनों की आपत्ति इस बात पर है कि कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। सितंबर का जोड़ने पर ये बकाया चार महीने का हो जाएगा। ऐसे में बेहतर होता कि पहले इंजीनियरों को पूरा वेतन दिया जाता, तब तबादला किया जाता। डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के महासचिव अजय बेलवाल ने कहा कि इंजीनियरों को करीब चार महीने से वेतन नहीं मिला है। ऐसे में उनका स्थानीय दुकानदारों पर उधार होगा। ऐसे में बिना वेतन के कैसे उधार चुकाया जाएगा। उन्होंने कई तबादलों को लेकर इंजीनियरों की ओर से संघ को प्रत्यावेदन भेजे जा रहे हैं। यदि इंजीनियरों की जायज मांगों को नजरअंदाज करते हुए तबादलों में संशोधन नहीं हुए, तो प्रबंधन को घेरा जाएगा।
सबसे अधिक सवाल उत्तरकाशी में सहायक अभियंता वीके शर्मा के प्रकरण पर उठ रहे हैं। उनका 2014 में जेई से एई पद पर प्रमोशन करते हुए उत्तरकाशी तबादला किया गया था। उनके प्रमोशन आदेश में ही साफ किया गया था कि दो साल बाद उन्हें नीचे लाया जाएगा। छह साल गुजरने के बाद भी उनका तबादला नहीं किया गया। अभी भी उन्हें नजरअंदाज किया गया। एमडी वीसी पुरोहित ने कहा कि जल जीवन मिशन के प्रोजेक्ट को प्रगति देने के लिहाज से तबादले किए गए हैं। पूरा प्रयास किया गया है कि कहीं कोई गड़बड़ न हो।

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