एमडी चयन नियमावली को लेकर जल निगम में बवाल, कर्मचारी संगठन विरोध में उतरे
देहरादून।
जल निगम के कर्मचारी संगठनों ने कैबिनेट से पास हुई एमडी चयन नियमावली का विरोध किया है। अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह देव ने कहा कि वर्ष 2011 से पहले की एमडी चयन नियमावली के अनुरूप अधिक से अधिक लोगों को चयन प्रक्रिया में शामिल होने का मौका दिया जाए। मौजूदा नियमावली के अनुसार सिर्फ एक ही व्यक्ति योग्य हैं। ऐसे में सही चयन नहीं हो सकता।
कहा कि एमडी का चयन करने से पहले सहायक अभियंता की वरिष्ठता सूची को फाइनल किया जाए। मुख्य अभियंता के सभी खाली पदों पर चयन किया जाए। श्रेष्ठता आधारित पद के चयन को एक पद के सापेक्ष न्यूनतम पांच अभ्यर्थियों को मौका दिया जाए। पैनल में उन्हीं इंजीनियरों को शामिल किया जाए, जिनके खिलाफ कोई जांच लंबित न हो। डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के महासचिव अजय बेलवाल ने कहा कि पहले नीचे के पदों पर प्रमोशन हो। सहायक अभियंता एसोसिएशन के महासचिव सौरभ शर्मा ने कहा कि एमडी के चयन से पहले चीफ और एसई की डीपीसी हो। अधिशासी अभियंता एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीन राय ने कहा कि यूपी जल निगम में एमडी पद पर एसई और मुख्य अभियंता को मिलाकर पात्रता बनती थी। उत्तराखंड में भी यही व्यवस्था लागू करने को दोबारा नियमावली में संशोधन हो।
उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रबंध निदेशक के कार्यभार ग्रहण करते ही आशा जगी थी कि विभाग के लिए कुछ अच्छा करेंगे। परंतु विभाग के सामने उत्पन्न समस्याओं को सुलझाने के बजाय वह स्थानांतरण जैसे मुद्दों में उलझ गए। वर्तमान प्रबंध निदेशक को सिर्फ जरूरी स्थानांतरण करने चाहिए थे। न की व्यक्ति विशेष के प्रति द्वेष भावना से ग्रसित होकर। पिछले डेढ़ महीने से इन्होंने अधिकारियों को आपस में लड़ाने का काम किया है और अपने पद की गरिमा गिरायी है।
कहा कि प्रबंध निदेशक के पद पर पदोन्नति हेतु केवल दो मुख्य अभियन्ता उपलब्ध हैं। एक मुख्य अभियंता माह अक्टूबर में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसलिए सबसे पहले मुख्य अभियंता के पद पर पदोन्नति होनी चाहिए ताकि प्रबंध निदेशक हेतु योग्य उम्मीदवार का चयन हो सके। उत्तर प्रदेश जल निगम में प्रबंधक निदेशक के पद पर अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता को मिलाकर पात्रता बनती थी । उत्तराखंड पेयजल निगम में यदि पर्याप्त संख्या में मुख्य अभियंता प्रबन्ध निदेशक के पद पर पदोनंति हेतु पात्रता में नहीं आ पाते हैं तो अधीक्षण अभियंताओं को भी प्रबंध निदेशक के पद पर पदोन्नत की पात्रता में पुनः नियमावली में संशोधन करके शामिल किया जाना चाहिए।
महासंघ भी आगे आया
डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के अध्यक्ष हरीश चंद्र नौटियाल ने कहा कि पदोन्नति के मामले में यदि पेयजल निगम में डिप्लोमा इंजीनियरों के हितों पर कुठाराघात किया गया। वरिष्ठता सूची के दोहरे मानक अपनाए गए, तो डिप्लोमा इंजीनियर्स के शोषण पर महासंघ भी मूकदर्शक बना नहीं रहेगा। शासन में उच्च स्तरीय वार्ता में दिए गए आश्वासनों का इमानदारी से क्रियान्वयन हो। ताकि वार्ताओं की गरिमा बनी रहे। आश्वासनों की पूर्ति नहीं होने अथवा दोहरे मानक अपनाए जाने पर पेयजल निगम ही नहीं, बल्कि प्रदेश के समस्त विभागों के डिप्लोमा इंजीनियर्स को भी आंदोलन करना पड़ा तो हम पीछे नहीं हटेंगे।