जल संस्थान ने तीन महीने में ही लोगों को पिला दिया 5.87 करोड़ का टैंकर का पानी, अकेले देहरादून में ही पिलाया तीन करोड़ का पानी, सवालों के घेरे में जल संस्थान मैनेजमेंट

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जल संस्थान ने तीन महीने में ही लोगों को पिला दिया 5.87 करोड़ का टैंकर का पानी, अकेले देहरादून में ही पिलाया तीन करोड़ का पानी, सवालों के घेरे में जल संस्थान मैनेजमेंट

राज्य में पांच सालों में संकटग्रस्त बस्तियों, मोहल्लों की संख्या भले ही घटती जा रही हो, लेकिन टैंकर से पानी पिलाने का खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस साल महज तीन महीने में ही जल संस्थान ने 5.87 करोड़ का टैंकर का पानी लोगों को पिला दिया है।
हर साल गर्मियों के समय राज्य के पेयजल के लिहाज से संकटग्रस्त बस्तियों, मोहल्लों में टैंकर से सप्लाई की जाती है। इसके लिए शासन की ओर से बजट मुहैया कराया जाता है। इस बजट को जल संस्थान टैंकर के पानी पर बहाता है। पांच साल पहले 2018 में टैंकर पर 2.83 करोड़ रुपये खर्च होते थे। जो 2019 में 3.12 करोड़, 2020 में 3.65 करोड़, 2021 में 4.12 करोड़ तक पहुंचा। जबकि संकटग्रस्त बस्तियों की संख्या लगातार घटती चली गई। 2018 में 287, 2019 में 285, 2020 में 105, 2021 में 218 और 2022 में 166 पर आकर सिमट गई।
टैंकर के पानी पर सबसे अधिक खर्च देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, पौड़ी में हुआ। देहरादून में 3.05 करोड़, पौड़ी में 32.40 लाख, रुद्रप्रयाग में 27 लाख, नैनीताल में 97 लाख, अल्मोड़ा में 46 लाख खर्च हुए। सबसे कम टिहरी में 1.88 लाख रुपये खर्च हुए। उत्तरकाशी में 7.20 लाख, यूएसनगर में 3.60 लाख, चंपावत में 7.20 लाख रुपये खर्च हुए।

राजधानी में तीन महीने में तीन करोड़ खर्च
राज्य गठन के बाद राजधानी देहरादून के पेयजल सिस्टम को सुधारने को सबसे अधिक बजट खर्च हुआ। इसके बाद भी राजधानी में ही सबसे अधिक टैंकर से पानी पिलाया जा रहा है। महज तीन महीने में तीन करोड़ के टैंकर का पानी लोगों को पिलाया गया है। जबकि देहरादून में जेएनएनयूआरएम, 13 वें वित्त आयोग, एडीबी, अमृत, स्वैप, जिला, राज्य योजना के तहत अरबों का बजट खर्च किया जा चुका है। इसके बाद भी अप्रैल, मई, जून में किराए के 66 और दो सरकारी टैंकरों के जरिए तीन करोड़ से अधिक का पानी पिलाया गया है। इस आंकड़े पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। हालांकि विभाग का तर्क है कि अब डीजल और टैंकर के रेट बढ़ गए हैं। इसक कारण ही खर्चा अधिक हुआ है।

विभागीय कर्मचारियों के ही टैंकर
जल संस्थान में पानी के टैंकर के नाम पर बड़ा गोलमाल होता है। गर्मियों में टैंकर से पानी पिलाने के आंकड़े हमेशा सवालों के घेरे में रहते हैं। सूत्रों के अनुसार यहां कई कर्मचारी नेताओं और कर्मचारियों के टैंकर प्राइवेट में चल रहे हैं। इसे अफसरों की भी पूरी शह रहती है। इसी गठजोड़ के कारण टैंकरों से सप्लाई का धंधा फलफूल रहा है।

पांच सालों में संकटग्रस्त बस्तियों, मोहल्लों की संख्या में कमी आई है। इससे पता चलता है कि अब पेयजल संकटग्रस्त क्षेत्रों में पेयजल सप्लाई सिस्टम मजबूत हुआ है। इसी के कारण गर्मियों में अब पानी की समस्या कम होती जा रही है।
नितेश झा, सचिव पेयजल