उत्तराखंड के शहीद हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी का शव आठ महीने बाद गुलमर्ग से मिला
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
उत्तरी कश्मीर के जिला बारामुला में स्थित गुलमर्ग इलाके से एक जवान का शव मिला है। यह शव उसी जवान का है जो करीब आठ महीने पहले नियंत्रण रेखा पर अचानक से हुए हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गया था। शहीद जवान की पहचान हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी के तौर पर हुई है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार कुछ स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें शव मिलने की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंच जब उनकी टीम ने शव को बर्फ से बाहर निकाला और जांच की तो पता चला कि यह वही जवान है जो इसी साल 8 जनवरी को नियंत्रण रेखा पर गश्त लगाते समय हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गया था। हालांकि सैन्य जवानों व बचाव दल ने बर्फ में लापता हुए इस जवान की कई दिनों तक तलाश की परंतु कुछ पता नहीं चल पाया।
आपको जानकारी हो कि बर्फ में लापता जवान के बारे में जब सेना को कोई जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने उसे युद्ध का शहीद घोषित कर इस बाबत चिट्ठी भी घर भेज दी थी। सेना की 11 गढ़वाल राइफल के हवलदार राजेंद्र सिंह नेंगी देहरादून के रहने वाले थे। सेना द्वारा शहीद घोषित करने के बाद भी हवलदार राजेंद्र सिंह की पत्नी राजेश्वरी यह मानने को तैयार नहीं थी। उनका व उनके परिजनों का कहना था कि जवान नियंत्रण रेखा पर तैनात था, हो सकता है कि हिमस्खलन की चपेट में आकर वह सीमा पार पाकिस्तान चला गया हो।
राजेश्वरी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री के अलावा थल सेना प्रमुख को पत्र लिख पाकिस्तान से संपर्क करने की मांग भी की। आज आठ महीने बाद हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी का शव बरामद होने पर सभी संशयों पर विराम लग गया। पुलिस ने बताया कि अब जबकि कश्मीर में तापमान बढ़ने लगा है, बर्फ पिघलना शुरू हो गई है। यही वजह है कि बर्फ में दबे जवान का शव ऊपर आ गया। उन्होंने बताया कि जवान के पार्थिव शरीर को पुलिस ने बारामुला जिला अस्तपाल के शवगृह में रखा है। सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जवान के पार्थिव शरीर को उसकी बटालियन के हवाले कर दिया जाएगा। जहां से पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद हवलदार राजेंद्र सिंह नेगी का पार्थिव शरीर उनके परिजनों के साथ भेजा जाएगा।