सचिवालय सेवा से बाहर वाले कर्मचारियों को संघ का सदस्य बनाने का विरोध, मौजूदा उपाध्यक्ष समेत पूर्व महासचिव ने ही उठाए सवाल
देहरादून।
सचिवालय सेवा से बाहर के कर्मचारियों को सचिवालय संघ का सदस्य बनाने का विरोध तेज हो गया है। इसे संघ के संविधान के खिलाफ करार देते हुए सचिवालय प्रशासन से शिकायत तक की है। मौजूदा उपाध्यक्ष समेत पूर्व महासचिव तक ने सवाल उठाए। संघ उपाध्यक्ष संदीप मोहन चमोला ने ही फैसले पर सवाल उठाते हुए अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन को पत्र भेजा है। फैसले को नियम विरुद्ध करार दिया। कहा कि संघ कार्यकारिणी ने ऐसा फैसला लिया है, जिसे लेने का उसे अधिकार ही नहीं है। संघ ने सचिवालय परिसर में मौजूद विभिन्न प्रकोष्ठों, इकाइयों में कार्यरत कर्मचारियों को सचिवालय संघ का सदस्य बनाने का फैसला लिया है। ये पूरी तरह संविधान विरुद्ध है। इन प्रकोष्ठ, इकाइयों में कार्यरत कर्मचारी अलग अलग विभागों, कैडर के हैं। उनकी सेवा शर्ते, हित, मांगे अलग अलग हैं। जो सचिवालय सेवा से पूरी तरह अलग हैं।
कहा कि यदि ऐसा कोई भी निर्णय लिया जाना है, तो वो सिर्फ आम सभा में ही लिया जा सकता है। वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। मौजूदा कार्यकारिणी सिर्फ निर्वाचन तक तदर्थ रूप से कार्यरत है। ऐसे में कार्यकारिणी को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। उन्होंने संघ के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए सचिवालय सेवा के कर्मचारियों को ही वोटर लिस्ट में शामिल करते हुए चुनाव कराने की मांग की।
पूर्व महासचिव प्रदीप पपनै ने भी सचिवालय से बाहर के कर्मचारियों को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने का विरोध किया। कहा कि कार्यकारिणी का कार्यकाल जून 2020 में ही समाप्त हो गया है। उन्होंने संघ अध्यक्ष को पत्र भेज कर सचिवालय की गरिमा एवं मर्यादा को ध्यान में रख इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की। उन्होंने बताया कि यदि जबरन सचिवालय सेवा से बाहर के कर्मचारियों को चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया गया, तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।