मिनिस्टीरियल कर्मचारियों ने बदली आंदोलन की रणनीति, 13 अप्रैल को हड़ताल की घोषणा की बजाय आंदोलन लंबा चलाने पर बनी एकराय, स्टाफिंग पैटर्न के पदों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ किए जाने पर होगा आंदोलन 

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मिनिस्टीरियल कर्मचारियों ने बदली आंदोलन की रणनीति, 13 अप्रैल को हड़ताल की घोषणा की बजाय आंदोलन लंबा चलाने पर बनी एकराय, स्टाफिंग पैटर्न के पदों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ किए जाने पर होगा आंदोलन

देहरादून।

उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन ने अपने आंदोलन की रणनीति बदल दी है। अब 13 अप्रैल को अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा की बजाय आंदोलन को लंबा खींचा जाएगा। एसोसिएशन ने साफ किया कि यदि स्टाफिंग पैटर्न के पदों में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की गई, तो बड़ा आंदोलन होगा।
एसोसिएशन ने बुधवार को शासन के साथ हुई वार्ता के बाद गुरुवार को आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में तय हुआ कि कोविड को देखते हुए 12 अप्रैल का प्रदेश स्तर पर धरना प्रदर्शन कार्यक्रम स्थगित किया जाता है। इसके स्थान पर पदाधिकारी डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेज कर अपनी मांगों पर कार्रवाई को लेकर दबाव बनाएंगे। 15 अप्रैल से 30 अप्रैल तक जिलों में भ्रमण पर आए मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों को जिला पदाधिकारी ज्ञापन देने के साथ ही जनजागरण अभियान चलाएंगे।
30 अप्रैल तक मांगों पर कार्रवाई न होने पर प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में आंदोलन की घोषणा होगी। पदाधिकारियों ने कहा कि 19 नवंबर 2020 के शासनादेश पर किसी भी दशा में वसूली न की जाए। ऐसा हुआ, तो विरोध होगा। क्योंकि एसीपी का लाभ लेने पर कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है। ये सिर्फ शासनादेश में भ्रांति के कारण ही ऐसी स्थिति पैदा हुई है। बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष देवलियाल, महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल, पंचम सिंह बिष्ट, दीप चंद्र बुड़लाकोटी, बद्री प्रसाद सकलानी, सुभाष रतूड़ी, राजेंद्र सिंह रावत, सुशील बड़ोनी, एलएम रावत, नरेंद्र सिंह, महेश चंद्र, सुरेंद्र दत्त, जमुना प्रसाद भट्ट, प्रेम सिंह नेगी, मुकेश बहुगुणा, रमेश खन्ना, केदार सिंह फर्स्वाण, संदीप सिंह रावत, रमेश चंद्र भट्ट, अमन कुकरेती, गजेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

पद घटे तो होगा बड़ा आंदोलन
पदाधिकारियों ने कहा कि यदि स्टाफिंग पैटर्न के तहत प्रतिशत के आधार पर वर्तमान में स्वीकृत पदों में शासन स्तर पर किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या फेरबदल करने का प्रयास किया गया, तो उसका विरोध होगा। बड़े स्तर पर आंदोलन होगा।

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