नई पेंशन योजना की भयावह हकीकत, 80 हजार वेतन वाले कि पेंशन 1200 रुपए, कर्मचारियों ने उदाहरण के साथ बताई दुर्दशा
देहरादून।
देश व प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को लेकर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा लगातार संघर्षरत है। NOPRUF द्वारा नई पेंशन योजना के कारण सेवानिवृति के बाद अत्यंत अल्प पेंशन के कारण बदहाल हुए कार्मिकों की कहानी बताई गई जो कि यह सोचने पर मजबूर करती है की नई पेंशन योजना कर्मचारियो के साथ भद्दा मजाक है। प्रस्तुत हैं नई पेंशन योजना के भुक्तभोगियों की कुछ भयानक कहानियाँ।
👉कहानी नम्बर 1-
अंतिम वेतन – 80000 रु
NPS पेंशन – 1272 रु
नाम- त्रिमूर्ति सिंह नेगी
नियुक्ति तिथि– 25 मार्च 2006
सेवा अवधि- 14 वर्ष
सेवानिवृति- 31मार्च 2019
कार्यस्थल- राजकीय इंटर कॉलेज चोपडियू*
पाबौ पौड़ी गढ़वाल।
जिम्मेदारियां
1 बेटे और 1 बेटी की पढ़ाई व विवाह होना शेष
आवास ऋण- 21 लाख किश्त – 20000 मासिक
पत्नी- मधुमेह रोगी
👉कहानी नम्बर 2
अंतिम वेतन- 78000
NPS पेंशन- 1182 रु
नाम- सुभाष चंद्र डबराल
नियुक्ति तिथि – 18 सितम्बर 2004
सेवा अवधि – 14 वर्ष
सेवा निवृत्त – 31 मार्च 2018
कार्यस्थल – राजकीय इंटर कॉलेज दोन्दल, कल्जीखाल पौडी गढ़वाल।
जिम्मेदारियां –
2 बेरोजगार बेटे, उनका विवाह
👉कहानी नम्बर 3
अंतिम वेतन – 76000
NPSपेंशन – 473 रु
नाम – भागीरथ प्रसाद पन्त
नियुक्ति तिथि- मार्च 2006
सेवा अवधि – 11 वर्ष
सेवा निवृति – 31 मार्च 2017
*कार्यस्थल – रा०इ०का ० चाका , टिहरी गढ़वाल
जिम्मेदारियां
- सभी पारिवारिक जिम्मेदारियां*
👉कहानी नम्बर 4
अंतिम वेतन – 76000
NPS पेंशन – * 1000 रु*
नाम – राजेश्वर प्रसाद*
नियुक्ति तिथि – 24/02/2004
सेवा अवधि – 14 वर्ष
सेवानिवृति – 31 मई 2018
कार्यस्थल – रा०इ०का० कोटबांगर,रुद्रप्रयाग
जिम्मेदारियां
बच्चों की शिक्षा- दीक्षा व विवाह
👉कहानी नम्बर 5
अंतिम वेतन -78000
NPS पेंशन – 3532 रु
नाम – * सुंदर सिंह बिष्ट*
नियुक्ति तिथि – 2004
सेवा अवधि – 16 वर्ष
सेवानिवृति – 31 मार्च 2020
- कार्यस्थल* – बागेश्वर
जिम्मेदारियां –
स्वयं रक्तचाप से ग्रसित
समस्त पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ
गौरतलब है कि 1 अक्टूबर 2005 से राज्य में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया है। लगातार पुरानी पेंशन बहाली के लिए राज्य व देश में राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में संघर्ष जारी है। जिसके समर्थन में अब आम जन व जन प्रतिनिधि भी आगे आने लगे हैं। राज्य में लगातार पुरानी पेंशन को बहाल करवाने के लिए कार्यक्रम संयुक्त मोर्चा के तत्वधान में आयोजित किये जा रहे हैं जिसे सभी कर्मचारियों का समर्थन मिल रहा है।
मोर्चे के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा मोर्चे के सजग साथियों ने ये कहानियां हमें भेजी हैं जिससे साफ पता चलता है कि कर्मचारी किस तरह से इस योजना के अंतर्गत बदहाल है । 70- 80 हज़ार का वेतन पाने वाला कर्मचारी एक झटके में 1000 रु की पेंशन पर आ रहा है। इस महंगाई के दौर में कम से कम अंतिम वेतन के 50% धनराशि पाने का हक़ हर कर्मचारी रखता है। इसलिए पुरानी पेंशन को बहाल किया जाय
मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी जी ने कहा कि नई पेंशन योजना के अंतर्गत सेवानिवृति की कहानियां झकझोर करने वाली हैं ये भविष्य की तस्वीर हैं जिन्हें एक रोज़ हमारे सामने आना है। सरकार पुरानी पेंशन के विषय मे सोचना शुरू करे अन्यथा वह दिन करीब हैं जब सेवानिवृति लेने के बाद कर्मचारियों को बुढापे में जीवन यापन के लिए दर दर भटकना पड़ेगा।
प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण भट्ट ने कहा राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत जी के नेतृत्व में पुरानी पेंशन की लड़ाई सड़क से सदन तक लड़ी जाएगी। मुझे आशा है कि NPS कर्मचारी वेतन के वर्तमान मोह से निकलकर पेंशन के मजबूत भविष्य के बारे में सोचेंगे। इस लड़ाई को अधिक लंबे समय तक खींचना कर्मचारियों के साथ धोखा करना है।
पौड़ी से मण्डल अध्यक्ष जयदीप रावत, रुद्रप्रयाग से महासचिव नरेश भट्ट, बागेश्वर से मण्डल अध्यक्ष कपिल पांडे, आलोक पांडे, कमलेश कुमार मिश्रा ने बताया कि एनपीएस कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत साबित हो रही है।