गैर श्रमिक हैं और कर्मकार बोर्ड का कार्ड बनाया है, तो मुसीबत में फंस सकते हैं आप, गैर भवन निर्माण श्रमिकों के खिलाफ कार्रवाई के मूड में बोर्ड
देहरादून।
यदि आपने गैर भवन निर्माण श्रमिक होते हुए भी उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में बतौर श्रमिक पंजीकरण कराने के साथ ही योजनाओं का लाभ लिया है, तो आप मुसीबत में फंस सकते हैं। ऐसे गैर श्रमिकों को बोर्ड ने एकबार मौका दिया है। ताकि समय पर कार्ड निरस्त कराने के साथ ही लिए गए लाभ को वापस लौटाया जा सके।
ऐसे लोगों ने भी उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से श्रमिकों के कार्ड बनवा लिए हैं, जिनका भवन निर्माण से कोई लेना देना ही नहीं है। जबकि बोर्ड एक्ट के अनुसार बोर्ड की योजनाओं का लाभ सिर्फ और सिर्फ भवन निर्माण से ही जुड़े श्रमिकों को मिल सकता है। बावजूद इसके बोर्ड स्तर से गैर श्रमिकों के भी कार्ड बना दिए गए हैं। सब्जी बेचने वालों से लेकर होटलों में काम करने वालों, दुकानों पर सेल्समेन, हलवाई तक भवन निर्माण श्रमिकों के रूप में पंजीकृत कर लिए गए हैं।
देहरादून गांधी ग्राम में आम आदमी पार्टी की टोपी पहने हुए लोगों ने जिन लोगों को साइकिल बांटी, उनमें अधिकतर ऐसे ही लोग रहे। यहां साइकिलों का आवंटन श्रमिक कार्ड की बजाय आधार कार्ड के आधार पर ही कर दिया गया। अब ऐसे लोगों के ऊपर बोर्ड स्तर से शिकंजा कसा जा रहा है। इन सभी लोगों के स्तर से यदि सामान न लौटाया गया और कार्ड निरस्त न कराए जाने पर बोर्ड स्तर से धरपकड़ शुरू होगी। जांच पड़ताल में फर्जी तरीके से कार्ड बनाया जाना पाया गया, तो कार्रवाई की भी तैयारी है।
शमशेर सिंह सत्याल, अध्यक्ष उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अनुसार ऐसे गैर श्रमिक जिन्होंने बोर्ड की योजनाओं का लाभ लिया है, उनसे पहले स्वयं श्रमिक कार्ड निरस्त कराने को कहा जा रहा है। जो लाभ गलत तरीके से लिए हैं, वे लौटाए जाएं। क्योंकि बोर्ड की योजनाओं का लाभ सिर्फ और सिर्फ भवन निर्माण से जुड़े श्रमिकों को ही मिल सकते हैं।
एसआईटी जांच में ही पकड़ में आएगा फर्जीवाड़ा
अभी बोर्ड के कामकाज की जांच पड़ताल को एजी का ऑडिट जारी है। जल्द ऑडिट पूरा होने जा रहा है। इस ऑडिट के बाद वित्त विभाग का स्पेशल ऑडिट होना है। इन ऑडिट में तो बोर्ड के कामकाज की वित्तीय गड़बड़ियां सामने आएंगी, लेकिन किन किन लोगों ने फर्जी कार्ड बनाए हैं। किन कालेजों में फर्जी कार्ड के जरिए मिली छात्रवृति जमा कराई गई है, इसका खुलासा एसआईटी की जांच में ही संभव है। ऐसे में बोर्ड से शासन को एसआईटी जांच की संस्तुति करने का विकल्प खुला रखा गया है।