फिर खुली जीएमवीएन के गेस्ट हाउस पीपीपी मोड पर देने की फाइल, इस बार ऑफ रूट, घाटे वालों के साथ ही कई मुख्य गेस्ट हाउस भी पीपीपी मोड पर देने की तैयारी, कर्मचारी संगठनों ने पीपीपी मोड के खिलाफ खोला मोर्चा

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देहरादून।

फिर खुली जीएमवीएन के गेस्ट हाउस पीपीपी मोड पर देने की फाइल, इस बार ऑफ रूट, घाटे वालों के साथ ही कई मुख्य गेस्ट हाउस भी पीपीपी मोड पर देने की तैयारी, कर्मचारी संगठनों ने पीपीपी मोड के खिलाफ खोला मोर्चा

जीएमवीएन के गेस्ट हाउसों को पीपीपी मोड पर देने की एकबार फिर तैयारी शुरू हो गई है। इस बार ऑफ रूट, घाटे वाले गेस्ट हाउस के साथ ही मुख्य गेस्ट हाउसों को भी पीपीपी मोड पर देने का प्लान है।
लगातार घाटे में चल रहे गेस्ट हाउसों को कई बार पीपीपी मोड पर देने का प्लान बना। हर बार प्लानिंग फाइलों से आगे नहीं बढ़ पाई। कई बार टेंडर तक मामला पहुंचा, लेकिन बहुत अधिक उत्साही परिणाम नहीं मिल पाए। घाटे वाले गेस्ट हाउस और ऑफ रूट वाले गेस्ट हाउसों से कैसे मुनाफा कमाया जाए, इसके लिए अब नए सिरे से प्लानिंग शुरू हुई है। जीएमवीएन ने पर्यटक आवास गृहों को पीपीपी मोड पर देने का प्लान बनाया है। इसकी मंजूरी पर्यटन विकास परिषद से भी मिल चुकी है। मंजूरी के बाद अब जीएमवीएन के स्तर से आगे की कार्रवाई की जानी है।
जीएमवीएन के गेस्ट हाउस पीपीपी मोड पर देने की तैयारियों का विरोध भी शुरू हो गया है। कर्मचारी नेता मनमोहन चौधरी ने कहा कि पहले कहा गया कि सिर्फ घाटे वाले ऑफ रूट वाले गेस्ट हाउस ही पीपीपी मोड पर दिए जाएंगे, लेकिन अब बेहतर स्थिति वाले गेस्ट हाउस भी पीपीपी मोड पर देने की तैयारी है। ऋषिकेश, मसूरी, धनोल्टी समेत चार धाम रूट के कई अहम गेस्ट हाउस भी निजी हाथों में देने की तैयारी है। इसका विरोध किया जाएगा।

पहला फोकस जीएमवीएन की स्थिति सुधारने पर है। किस तरह गेस्ट हाउसों को पर्यटकों के अनुकूल बनाया जा सके। इसके साथ ही किस तरह गेस्ट हाउसों को मुनाफे में लाया जाए, इसे लेकर भी योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है।
सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री

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