देहरादून।
गढ़वाल लोकसभा टिकट को लेकर भाजपा में जबरदस्त खींचतान की स्थिति पैदा हो गई है। आधा दर्जन से अधिक नेता चुनाव टिकट की दौड़ में हैं। कई नेताओं ने टिहरी, पौड़ी तो कुछ ने हरिद्वार, पौड़ी सीट को लेकर आपस में हाथ मिला लिए हैं। कुछ नेताओं का पॉलिटिकल कैरियर इस चुनाव के टिकट घोषित होते ही क्लोज हो जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए सभी ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा लिया है।
टिकट को लेकर सबसे दिलचस्प नजारा पौड़ी गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में है। यहां इस बार पूर्व सीएम और मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत को पार्टी के कई नेताओं ने अपना मूवमेंट बढ़ा कर खुल कर चुनौती दे दी है। तीरथ सिंह रावत को खुले तौर पर सीधी चुनौती पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ही दे रहे हैं। उन्होंने अचानक अपनी गतिविधियां पौड़ी सीट पर बढ़ा दी है। उन्होंने पूर्व सीएम बीसी खंडूडी के घर पहुंच कर न सिर्फ उनसे मुलाकात की, बल्कि खंडूडी के पैर छूकर और उस फोटो को उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर वायरल कर सभी को चौंका भी दिया था। वे लगातार पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली के दौरे कर रहे हैं। दौरे भी वे अकेले नहीं कर रहे हैं, बल्कि पूरे दलबल के साथ उनका मूवमेंट हो रहा है। यही मूवमेंट तीरथ सिंह रावत की बैचेनी की वजह बन रहा है।
उनकी बैचेनी सिर्फ त्रिवेंद्र सिंह रावत ही नहीं बढ़ा रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी भी दावेदार माने जा रहे हैं। वे लोकसभा चुनाव जीत कर अपने ऊपर लगे बैकडोर पॉलिटिकल एंट्री का ठप्पा हटाना चाहते हैं। वे आज तक कभी सीधे चुनाव नहीं जीते हैं। वे दोबार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में मोदी नाम की बयार में लोकसभा का चुनाव जीत कर उनकी भी खुद को चुनावी राजनीति में स्थापित करने की मंशा है। इस बार हरिद्वार लोकसभा सीट से भाजपा की मंशा किसी बड़े संत, आध्यात्मिक गुरु को चुनावी मैदान में उतार कर पूरे देश में हिंदुत्व का संदेश देने की है। ऐसे में मौजूदा सांसद पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक को भी ऐन मौके पर किसी दूसरी सीट की तलाश हो सकती है। ऐसे में वे भी विकल्प के रूप में पौड़ी लोकसभा सीट को लेकर ही चल रहे हैं।
पौड़ी सीट पर बड़े नामों के बीच रस्साकशी यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी इस सीट के बड़े दावेदार हैं। विधानसभा चुनाव हारने के बाद प्रदेश अध्यक्ष बनने से उनके राजनीतिक जीवन को जो नई संजीवनी मिली है, उसे वो लोकसभा चुनाव जीतकर और मजबूत करना चाहते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत भी पौड़ी लोकसभा सीट से संसद में जाकर अपना प्रोफाइल बढ़ाने को टिकट की लाइन में खड़े हो सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भी अपने पिता बीसी खंडूडी की पारम्परिक सीट रही पौड़ी लोकसभा से चुनाव लड़ सकती है। पार्टी ऋतु खंडूडी को मैदान में उतार कर कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस की ओर से इस सीट से मनीष खंडूडी का चुनाव लड़ना तय है। ऐसे में भाई बहन के बीच की ये चुनावी जंग बेहद रोचक रहेगी। पिछली बार भी इस सीट पर चुनाव बीसी खंडूडी के पुत्र मनीष खंडूडी और उनके राजनीतिक शिष्य तीरथ सिंह रावत के बीच ही हुआ था। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के पुत्र शौर्य डोभाल भी छुपे रुस्तम साबित हो सकते हैं। उन्होंने 2019 में टिकट के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया था।
इसी तरह टिहरी लोकसभा पर मौजूदा सांसद रानी राज्य लक्ष्मी शाह के सामने भी कई प्रतिद्वंदी खड़े हैं। वन मंत्री सुबोध उनियाल भी टिहरी से चुनाव लड़ने की इच्छा पाले हुए हैं, भले ही उनकी विधानसभा नरेंद्रनगर पौड़ी लोकसभा का हिस्सा हो। इसके लिए उनके और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच भी जुगलबंदी की खबरें भी राजनीतिक गलियारे से छन छन कर बाहर आ रही हैं। धनोल्टी से विधायक प्रीतम पंवार, मेयर सुनील उनियाल गामा, टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय, विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान को भी दावेदार माना जा रहा है।