पेंशनर्स भी गोल्डन कार्ड लौटाने को मजबूर, गर्वमेंट पेंशनर्स वेलफेयर आर्गनाइजेशन उत्तराखंड की बैठक में अंशदान 50 प्रतिशत कम करने की मांग 

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पेंशनर्स भी गोल्डन कार्ड लौटाने को मजबूर, गर्वमेंट पेंशनर्स वेलफेयर आर्गनाइजेशन उत्तराखंड की बैठक में अंशदान 50 प्रतिशत कम करने की मांग

देहरादून।

गर्वमेंट पेंशनर्स वेलफेयर आर्गनाइजेशन उत्तराखंड की बैठक में आयुष्मान योजना में अंशदान 50 प्रतिशत कम करने की मांग की गई। इसके साथ ही गोल्डन कार्ड की तमाम खामियों को देखते हुए गोल्डन कार्ड लौटाने की चेतावनी दी।
संगठन की ऑनलाइन हुई बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सबसे पहले अंशदान में 50 प्रतिशत की कटौती की जाए। कैशलेश उपचार की तरह ओपीडी भी कैशलेस हो। विभिन्न उच्चकोटी के अस्पतालों का चयन हो। उचित चिकित्सा सुविधा होने तक मासिक अंदशन कटौती मई से बंद की जाए। पुराने उपचार बिलों का तत्काल भुगतान किया जाए। गैर सूचीबद्ध अस्पतालों से उपचार बिलों में प्रति हस्ताक्षर की व्यवस्था स्वास्थ्य प्राधिकरण स्तर से करते हुए तत्काल भुगतान हो।
कहा कि गोल्डन कार्ड से कैशलेस उपचार का लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार उचित व्यवस्था करने में असमर्थ है, तो पुरानी यू हेल्थ कार्ड योजना को लागू किया जाए। इस बात का ध्यान रखा जाए कि पेंशनर्स, कर्मचारियों से हो रही अंशदान की कटौती का दुरुपयोग न हो। कहा कि सवा लाख पेंशनर्स सरकार से नाराज है। गोल्डन कार्ड जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री को वापस किए जाएंगे। बैठक में अध्यक्ष जेएस जैन, महामंत्री बची सिंह रावत, सीबी घिल्डियाल, जेएन यादव, दीप जोशी, दीपचंद, धीरज नेगी, जेएस चौहान, वीएस रौतेला, हयात तडागी, जेएल वर्मा, प्रताप गडिया, भरत शाह आदि मौजूद रहे।

कर्मचारी संगठनों ने भी दी है चेतावनी
गोल्डन कार्ड को लेकर अन्य कई कर्मचारी संगठनों ने भी लौटाने की चेतावनी दी है। उत्तराखंड सचिवालय संघ ने गोल्डन कार्ड 25 मई तक लौटाने का कार्यक्रम तक दिया है। संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि गोल्डन कार्ड का कोई लाभ कर्मचारियों, पेंशनर्स को मिल रहा है। सिर्फ हर महीने मासिक अंशदान जरूर कट जा रहा है। अब जब तक व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो जाती, मासिक अंशदान न काटा जाए। कर्मचारी कार्ड लौटाएंगे। उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार और महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट ने भी गोल्डन कार्ड योजना पर सवाल उठाए। कहा कि प्राइवेट अस्पताल गोल्डन कार्ड को स्वीकार ही नहीं कर रहे और सरकार दावे कैशलेस इलाज के कर रही है।

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