पीएम मोदी के सपने के अनुरूप धाम को ‘स्मार्ट स्प्रिचुअल हिलटाउन’ के रूप में किया जाएगा विकसित, कंपनियों के सीएसआर फंड से संवारा जाएगा बदरीनाथ धाम, सचिव पर्यटन ने दिल्ली में कंपनियों के सामने रखा बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान 

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पीएम मोदी के सपने के अनुरूप धाम को ‘स्मार्ट स्प्रिचुअल हिलटाउन’ के रूप में किया जाएगा विकसित, कंपनियों के सीएसआर फंड से संवारा जाएगा बदरीनाथ धाम, सचिव पर्यटन ने दिल्ली में कंपनियों के सामने रखा बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान

देहरादून।

पीएम मोदी के सपने के अनुरूप धाम को ‘स्मार्ट स्प्रिचुअल हिलटाउन’ के रूप में विकसित किया जाएगा। कंपनियों के सीएसआर फंड से बदरीनाथ धाम संवारा जाएगा। सचिव पर्यटन ने दिल्ली में कंपनियों के सामने बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बदरीनाथ धाम को एक स्मार्ट स्प्रिचुअल हिलटाउन के रूप में विकसित करने के निर्देश दे चुके हैं। बाकायदा पीएमओ धाम के मास्टर प्लान को भी हरी झंडी दे चुका है। अब इस काम को धरातल पर उतारने को पर्यटन विभाग ने केंद्र सरकार की बड़ी कंपनियों समेत तमाम दूसरे उपक्रमों से कंपनी सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी फंड में मदद देने की अपील की है। इसके लिए सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कंपनियों के प्रतिनिधियों के समक्ष बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान को रखा।
सचिव पर्यटन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एवं दूरगामी विजन के साथ बद्रीनाथ धाम का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। इसके लिए देशभर के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के अंतर्गत बद्रीनाथ धाम को ‘स्मार्ट स्प्रिचुअल हिलटाउन’ के रूप में विकसित करने में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस बैठक का आयोजन किया गया है।
उन्होंने ऊर्जा, कोयला, पेट्रोलियम तथा जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एचपीसीएल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, पीएफसी, टीएचडीसी, कोल इंडिया, ऑयल इंडिया लिमिटेड, एनएचपीसी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन तथा भारत पेट्रोलियम आदि पीएसयू के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि मास्टर प्लान के तहत किए जाने वाले कार्यों में पर्यावरणीय संतुलन तथा स्थानीय हित धारकों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। धाम में हर साल लगभग 10 लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं। इस बढ़ती हुई संख्या और सीमित संसाधनों तथा भौगोलिक प्रतिबंधों के कारण यह आवश्यक हो गया है कि अब इस पवित्र धाम की क्षमता को बढ़ाने को इसे एक मास्टर प्लान के तहत विकसित किया जाए।
यहां मंदिर परिसर को विकसित करने के साथ ही प्लाजा विकास, रोड निर्माण, घाटों के निर्माण, कमांड कंट्रोल सेंटर, स्ट्रीट फसाड, रोड एलाइनमेंट तथा भीड़ प्रबंधन का सिस्टम विकसित होगा। निर्माण कार्यों में नियमों तथा सीएसआर निर्देशों का पालन होगा। स्थानीय निवासियों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा। कई कंपनियों के प्रतिनिधियों ने बताया कि इस संबंध में उनके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने सैद्धांतिक सहमति भी दी है।
कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधकों में एचपीसीएल एस सुब्बा राव, ओएनजीसी के एसएस प्रतिभान एवं डीके सिंह, एनटीपीसी के डीके पटेल, पीएफसी के आर मुरारी, टीएचडीसी के आरएन सिंह, कोल इंडिया के एचएस मिश्रा, एनएचपीसी के आरके अग्रवाल एवं विश्वजीत बासु, ऑयल इंडिया लिमिटेड के अपूर्व चतुर्वेदी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के एलएल खोंगसाई बीपीसीएल के डीआर गोखले एवं रजनीश वर्मा आदि उपस्थित रहे। राज्य की ओर से अपर स्थानिक आयुक्त इला गिरी, जनसंपर्क अधिकारी कमल किशोर जोशी, वरिष्ठ व्यवस्था अधिकारी उत्तराखंड सदन रंजन मिश्रा तथा सूचना अधिकारी अंजू धपोला मौजूद रहे।

श्री केदारनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट ही रहेगा नोडल
सचिव ने कहा कि श्री केदारनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट ही श्री बद्रीनाथ मास्टर प्लान योजना के लिए एक नोडल संस्था के रूप में कार्य करेगा। उन्होंने इस विराट उद्देश्य की प्राप्ति को भूदान तथा धन दान को निजी व्यक्तियों का भी आह्वान किया। कहा कि इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप प्रदान होने पर श्री बदरीनाथ धाम में पर्यटन सुविधाओं के विकसित होने से जहां पर्यटक एक बेहतर अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। वहीं इससे स्थानीय लोगों को अच्छी आमदनी वाले रोजगार प्राप्त हो सकेंगे। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को उत्कर्ष प्रदान करने वाली परियोजना सिद्ध होगी।

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