पॉवर सेक्टर में उठी मूल निवास की आवाज, जेई पद पर सिर्फ मूल निवासी, स्थाई निवासी की ही हो नियुक्ति 

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पॉवर सेक्टर में उठी मूल निवास की आवाज, जेई पद पर सिर्फ मूल निवासी, स्थाई निवासी की ही हो नियुक्ति

देहरादून।

पॉवर सेक्टर में जूनियर इंजीनियर के पद पर सिर्फ मूल निवासी और स्थाई निवासी को ही नियुक्ति देने की मांग उठी। इसके लिए बाकायदा सेवा नियमावली में प्रावधान किए जाने की मांग हुई। उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने अवर अभियंता (विद्युत एवं यांत्रिक) एवं अवर अभियंता (जनपद) की सेवा नियमावली में संशोधन को अपनी आपत्ति, सुझाव दे दिए हैं।
एसोसिएशन ने कहा कि जूनियर इंजीनियन को उत्तराखंड का मूल निवासी या स्थाई निवासी होना चाहिए। तीनों निगमों के एमडी को भेजे पत्र में कहा कि जेई पद पर मूल निवास, स्थाई निवास की अनिवार्यता को हर हाल में सुनिश्चित किया जाए। अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने कहा कि सेवा नियमावली में जेई की मौलिक नियुक्ति से पहले एक वर्ष तक प्रशिक्षु के रूप में नियुक्ति का नियम रखा गया है। जबकि सहायक अभियंता सेवा नियमावली में एक वर्ष की प्रशिक्षण अवधि को समाप्त कर दिया गया है।
एई को सीधे सहायक अभियंता के पद पर मौलिक नियुक्ति दी जाएगी। ये विद्युत अधिनियम के नियम-3(2ए) का खुला उल्लंघन है। इसके अनुसार पॉवर सब स्टेशन और पावर हाउस पर हर तकनीकी कर्मचारी का प्रशिक्षण होना सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है। यदि एई सेवा नियमावली में एक वर्ष प्रशिक्षण अवधि को समाप्त किया जाता है तो, जेई को भी समान अवसर देते हुए एक वर्ष प्रशिक्षण अवधि को समाप्त कर सीधे जेई पद पर मौलिक नियुक्ति दी जाए। जेई और एई की परिवीक्षा अवधि अलग अलग रखना भी दोहरा मापदंड है।
एसोसिएशन ने साफ किया कि वरिष्ठता का निर्धारण वरिष्ठता नियमावली 1998 के अनुसार मौलिक नियुक्ति की तिथि से ही होना चाहिए। प्रमोटी को वरिष्ठता क्रम में सीधी भर्ती के अभ्यर्थी से ऊपर प्रथम स्थान पर होना चाहिए। इसमें बदलाव न हो। एसोसिएशन ने एसई पद पर पदोन्नति को बीटेक, एएमआईई डिग्री की अनिवार्यता का विरोध किया। कहा कि राज्य में ऐसा कोई नियम नहीं है। सेवा विनियमावली में एसीपी का लाभ 9, 14, 19 वर्ष में दिए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की मांग की गई।

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