बिजली का निजीकरण हुआ, तो दस रुपये यूनिट मिलेगी बिजली, बिजली कर्मचारी नेताओं ने सामने रखे तर्क, साफ किया कि किसी भी सूरत में मंजूर नहीं पॉवर सेक्टर का निजीकरण
देहरादून।
बिजली कर्मचारी संगठनों ने पॉवर सेक्टर के निजीकरण को आम जनता के लिए घातक बताया। आरोप लगाया कि यदि निजीकरण हुआ, तो बिजली दस रुपये प्रति यूनिट तक बिकेगी। इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को पॉवर सेक्टर और जनता के लिए घातक करार दिया। चेतावनी दी कि यदि निजीकरण हुआ, तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन होगा।
गुरुवार को प्रदेश भर में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाई। यूपीसीएल मुख्यालय में जुटे कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कर्मचारी नेता डीसी ध्यानी ने कहा कि पूरे देश में पॉवर सेक्टर के निजीकरण का मॉडल फेल हुआ है। संशोधन के बाद किसी को भी बिजली के रेट में कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी। मौजूदा समय में बिजली की लागत 7.90 रुपये प्रति यूनिट है। संशोधन में कंपनियों को 16 प्रतिशत तक मुनाफा लेने का अधिकार है। ऐसे में आने वाले समय में बिजली उत्तराखंड में दस रुपये प्रति यूनिट तक बिकेगी।
निगम मुख्यालय में मोर्चा संयोजक इंसारुल हक ने कहा कि बिजली का निजीकरण किसी के लिए भी ठीक नहीं है। यदि सरकार सोच रही है कि ऐसा कर सरकार को बहुत बड़ा लाभ होगा, तो ये सरकार की बड़ी भूल है। बल्कि निजीकरण के दुष्परिणाम सरकार को भुगतने होंगे। जनता को परेशानियां उठानी होंगी। बिजली के मनमाने रेट का असर जनता, किसानों पर पड़ेगा। उसका रोष सरकार को भुगतना होगा। अनिल मिश्रा ने कहा कि निजीकरण के बाद करोड़ों की संपत्तियां कौड़ियों के दाम पर कंपनियों को सौंप दी जाएंगी। सरकार बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीद निजी कंपनियों के हवाले करेगी, ताकि उनका नुकसान न हो।
कार्तिक दुबे ने कहा कि संशोधन के बाद ऊर्जा निगमों के 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी जाएगी। ऐसे में कर्मचारियों के प्रति सरकार का कोई दायित्व नहीं रहेगा। कर्मचारियों को निजी कंपनी के रहमों करम पर छोड़ दिया जाएगा। तय हुआ कि यदि केंद्र और राज्य सरकार जल्द निजीकरण की इस प्रक्रिया को निरस्त नहीं करती है, तो सीधे हड़ताल का विकल्प खुला हुआ है। विरोध जताने वालों में अमित रंजन, विनोद कवि, दीपक शैली, मनोज रावत, वीके गोयल, प्रदीप कंसल, सुनील मोघा, केहर सिंह, चित्र सिंह, राजुल अस्थाना, पीपी शर्मा, गोविंद नौटियाल, अभिषेक चौहान, सतेंद्र सिंह, जयपाल कुंवर, विरेंद्र नेगी, डीके शर्मा, नेहा निराला, दीपा भंडारी, सचेंद्र कुमार, इंसारुल हक, डीसी ध्यानी, वाईएस तोमर, मुकेश कुमार, कार्तिक दुबे आदि मौजूद रहे।
बिजली कंपनियों का किया जाए एकीकरण
पॉवर इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव मुकेश कुमार ने कहा कि राज्य की सभी बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल की तर्ज पर पुनर्गठन किया जाए।
संविदा कर्मचारी हो नियमित
विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि तेलंगाना की तर्ज पर बिजली सेक्टर के सभी संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया जाए। उत्तराखंड में पहले ही हाईकोर्ट नियमितीकरण और समान काम का समान वेतन देने के आदेश कर चुका है।
निजीकरण से सरकार, जनता, कर्मचारी तीनों का नुकसान
ऊर्जा कामगार संगठन ने एमडी यूजेवीएनएल को ज्ञापन सौंप निजीकरण का विरोध किया। कहा कि इससे सरकार, जनता और कर्मचारियों तीनों का ही नुकसान होगा। सरकार को अभी निजीकरण से होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं है। इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पॉवर जूनियर इंजिनियर भी नाराज
निजीकरण के खिलाफ पॉवर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने भी नाराजगी जताई। एमडी यूजेवीएनएल संदीप सिंघल और निदेशक मानव संसाधन पिटकुल पीसी ध्यानी को ज्ञापन सौंप विरोध जताया। विरोध जताने वालों में अध्यक्ष जेसी पंत, महासचिव संदीप शर्मा, आंनद रावत, केडी जोशी, सुनील पोखरियाल, राहुल अग्रवाल, विमल बहुगुणा, विनित गुप्ता, बब्लू सिंह, रविंद्र बालियान मौजूद रहे।