नये कुंभ की तैयारी, पुराने कुंभ के बिजली कार्यों के घपलों पर कोई कार्रवाई नहीं, निदेशक ऑपरेशन अनिल कुमार की जांच रिपोर्ट में हुआ था घपलों का खुलासा

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कुंभ मेले में बिजली के कार्यों में जमकर बड़े पैमाने पर हुए थे घपले
जांच में दोषी पाए गए किसी भी आरोपी के खिलाफ नहीं हुई अभी तक कोई कार्रवाई
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
राज्य सरकार कोरोना संकट के बीच 2021 के कुंभ मेले के आयोजन की तैयारी में जुटी है, लेकिन 2010 के कुंभ मेले के घपले घोटालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। खासतौर पर ऊर्जा निगम के कराए गए कार्यों में अनियमितताओं की पुष्टि कई जांच रिपोर्ट में भी हुई, लेकिन इसके बाद भी आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा उनके एक के बाद एक प्रमोशन जरूर होते चले गए।
कुंभ मेले में बिजली का बेहतर इंतजाम किए जाने के नाम पर जमकर बजट की बंदरबांट हुई। टेंडर से लेकर सप्लाई के नाम पर घपले हुए। इन घपलों की पुष्टि ऑडिट से लेकर निदेशक परिचालक अनिल कुमार की जांचों में हो चुकी है। इसके बाद भी आज तक एक भी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कुंभ मेले के इन घपलों को पूरा हुए दस साल गुजर गए हैं। इन घपलों का पहला खुलासा 27 जुलाई 2012 को आई ऑडिट रिपोर्ट में हुआ।
इस पर तत्कालीन निदेशक परिचालन अनिल कुमार को विशेष जांच दी गई। उन्होंने भी 16 बिंदुओं पर जांच करते हुए करोड़ों की वित्तीय अनियमितता की पुष्टि करते हुए आरोपियों के खिलाफ का नियमानुसार जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की संस्तुति की। इसके बावजूद आज तक किसी भी एक आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की जहमत यूपीसीएल प्रबंधन से लेकर शासन के अफसरों ने नहीं उठाई। जबकि इस बीच कई एमडी और कई सचिव ऊर्जा बदल गए। कार्रवाई की फाइल शासन से ऊर्जा निगम मुख्यालय के बीच ही झूलती रह गई। अभी भी शासन स्तर से इस मामले में कार्रवाई लंबित है।

आरोपी कई, तो निशाना सिर्फ एक पर क्यों
इस बार कार्रवाई को लटकाने के पीछे तर्क ये दिए जा रहे हैं कि इस पूरे प्रकरण में आरोप कई अफसरों पर हैं। ऐसे में कार्रवाई सिर्फ एक पर ही क्यों की जाए। इसी नाम पर जांच को अभी तक उलझा कर रखा जा रहा है। ये तय करने में ही कई साल गुजर गए हैं। आरोप लग रहे हैं कि जिन पर कार्रवाई होनी है, उनके तार सत्ताधारी दल के कई प्रभावशाली लोगों से जुड़े हैं, यही वजह है, जो हर बार फाइल डंप हो जाती है।

अहम पदों की दे रखी है जिम्मेदारी
इस पूरे प्रकरण में जिन लोगों पर आरोप लग रहे हैं, उन पर कार्रवाई को लेकर फैसला लेने की बजाय अहम पदों पर बैठाया गया है। सभी मौजूदा समय में बेहद अहम और संवेदनशील सीटों का जिम्मा संभाले हुए हैं।

इन समितियों पर था काम का जिम्मा
कुंभ मेले में बिजली के कार्यों को लेकर दो तरह की समितियों का गठन हुआ था। विशेष मंडलीय कार्य/क्रय समिति में तत्कालीन एसई अतुल अग्रवाल, एक्सईएन एमएल प्रसाद, डीजीएम वित्त अनिल मित्तल शामिल थे। विशेष मंडलीय स्पॉट क्रय समिति में तत्कालीन एसई आरएस बुर्फाल, एसई अतुल अग्रवाल, डीजीएम वित्त अनिल मित्तल शामिल थे।

तत्कालीन सचिव ने दिए थे विजिलेंस जांच के आदेश
तत्कालीन सचिव ऊर्जा एसएस संधू ने 11 अगस्त 2012 को कुंभ मेला घोटाला, करोड़ों के टेंडर घोटाले, स्पॉट बिलिंग के अरबों के घपले घोटालों की विजिलेंस जांच के भी निर्देश दिए थे। करोड़ों के टेंडर घोटाले में तो तत्कालीन एमडी एके जैन को बर्खास्त करते हुए 96 लोगों को भी चार्जशीट दी गई थी। बावजूद इसके कुंभ घपले में कुछ नहीं किया गया।

जांच में इन घपलों का हुआ था खुलासा
कुंभ मेला अस्थाई पार्किंग क्षेत्र में अस्थाई लाइन, सब स्टेशन निर्माण, किराए पर प्रकाश व्यवस्था के टेंडर में गड़बड़ी। अधिक किराया दर, लाईन निर्माण, स्ट्रीट लाइट का अनियमित भुगतान। 14 लाख का नुकसान।
एक समान सामग्री के दो तरह के परचेज ऑर्डर कर 35 लाख का नुकसान
स्ट्रीट लाईट के टेंडर में गड़बड़ी, डीजल जेनरेटर सैट अधिक किराया दर पर लेकर 75 लाख का नुकसान
कई प्रकार के क्लैम्पों के आपूर्ति आदेशों में गड़बड़ी कर 68 लाख का नुकसान
जरूरत से ज्यादा बिजली की लाइन बिछाने के साथ ही अनावश्यक ढुलान के नाम पर भुगतान
कुंभ मेला समाप्त होने के बाद जो सामग्री निकाली गई, वो लगाए गए सामान से कम निकले
बिजली सजावट के नाम पर गड़बड़ी, दस लाख का नुकसान

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