बिजली चोरी रोकें मुख्य अभियंता, सर्किल समेत डिवीजनों पर कसें नकेल, मुख्यालय से जारी हुए आदेश
देहरादून।
ऊर्जा निगम का लाइन लॉस कम से कम स्तर पर लाने के तमाम प्रयास सफल नहीं हो पा रहे हैं। अभी भी बिजली चोरी, राजस्व वसूली में ढिलाई के कारण लाइन लॉस कम नहीं हो रहा है। ऐसे में मुख्यालय स्तर से नये सिरे से सभी मुख्य अभियंताओं को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। सभी को साफ किया गया है कि अपने क्षेत्र में सख्ती के साथ लाइन लॉस को कम किए जाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
राज्य में सालाना 1860 मिलियन यूनिट बिजली का नुकसान होता है। ये नुकसान बिजली चोरी, लाइन लॉस के रूप में होता है। इसमें विभागीय मिलीभगत से फर्नेश उद्योगों में होने वाली बिजली चोरी भी नुकसान की एक एक बड़ी वजह है। अकेले हरिद्वार जिले में ही 700 एमयू का नुकसान होता है। फर्नेश से जुड़े उद्योगों में पहले बिजली चोरी और दूसरा समय पर बिल भुगतान न होने से दोहरा नुकसान हो रहा है। सबसे ज्यादा लाइन लॉस रुड़की में 31.33 प्रतिशत, लक्सर 25.85 प्रतिशत, ज्वालापुर 21.75 प्रतिशत, भगवानपुर 12.38 प्रतिशत, हरिद्वार में 11.55 प्रतिशत है। जसपुर में 11.89 प्रतिशत, रुद्रपुर 8.01 प्रतिशत, काशीपुर 10.30 प्रतिशत बिजली का नुकसान हो रहा है। निदेशक मानव संसाधन एके सिंह की ओर से जारी निर्देशानुसार सभी मुख्य अभियंताओं को तय लक्ष्य को पूरा करने के निर्देश जारी किए गए।
बिजली चोरी में 50 किलोवॉट तक के छोटे उद्योगों के कारण भी लाइन लॉस हो रहा है। यहां तय लोड से अधिक बिजली का इस्तेमाल कर नुकसान पहुंचाया जाता है। रुड़की, काशीपुर रुद्रपुर में इस तरह के कई केस पकड़ में आ चुके हैं। जेई से लेकर एई तक निलंबित हो चुके हैं। कहीं ट्यूबवेल के कनेक्शन पर राइस मिल चलाई जा रही थी। तो कहीं पूरी फैक्ट्री ही संचालित हो रही थी।