प्राइवेट निजी लैबों में जमकर हो रहा गोलमाल, भूमिका पर उठ रहे सवाल, गलत रिपोर्ट देने के साथ ही फर्जी रिपोर्ट से भी उठे सवाल 

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प्राइवेट निजी लैबों में जमकर हो रहा गोलमाल, भूमिका पर उठ रहे सवाल, गलत रिपोर्ट देने के साथ ही फर्जी रिपोर्ट से भी उठे सवाल

देहरादून।

निजी लैबों में कोरोना जांच के नाम पर पहले दिन से ही गड़बड़ी शुरू हो गई थी। एक के बाद एक सामने आई शिकायतों की पुष्टि पड़ताल में भी हुई। कहीं कैबिनेट मंत्री के छापों में गड़बड़ी पकड़ में सामने आई। तो कहीं हरिद्वार कुंभ में जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ। इन फर्जी जांचों के नाम पर करोड़ों का फर्जी भुगतान होने की भी आंशका उठ खड़ी हुई है। जिसका खुलासा आगे होने वाली जांचों में होगा।
लैबों में पहले गलत रिपोर्ट के ही मामले सामने आ रहे थे। बाद में फर्जी रिपोर्ट और हरिद्वार में तो पैसा बनाने को फर्जी जांचों का ही खेल किया गया। एंटीजन जांचों में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया गया। ढालवाला ऋषिकेश में तो कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह को पकड़ा था। इन तमाम गड़बड़ियों के बाद ही सरकार ने निजी लैबों की जांच के आदेश दिए हैं। अब इन्हीं जांचों के बाद टेस्ट का भुगतान भी होगा।
दून अस्पताल में आरटीपीसीआर रिपोर्ट के नाम पर दलाली के मामले भी सामने आए। इन मामलों की जांच भी हुई। जांच में गड़बड़ी भी पाई गई। विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। अस्पताल प्रबंधन की ओर से इन तमाम गड़बड़ियों, फर्जीवाड़े की जांच साइबर सेल को भी सौंपी गई। हालांकि साइबर सेल की जांच में क्या निकला, ये स्पष्ट नहीं हो पाया है। जांच अभी चल ही रही है।
आरटीपीसीआर पोर्टल से छेड़छाड़ तक के मामले सामने आए। निगेटिव रिपोर्ट को पॉजिटिव और पॉजिटिव को निगेटिव दिखाने के मामले भी सामने आए। पोर्टल से छेड़छाड़ कर गड़बड़ी की गई। इन तमाम गड़बड़ियों ने भी सिस्टम पर सवाल उठाए। बीच में चंडीगढ़ की लैब को भी सैंपल भेजे गए। वहां से भी रिपोर्ट गड़बड़ आने पर कार्रवाई हुई। लैब के साथ करार निरस्त तक किया गया। यहां से भी सैंपल की रिपोर्ट गलत मिली।

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