जब लोन लेने वाले ही नहीं, तो क्यों किया जा रहा है निलंबन, सहकारिता में निलंबन कार्रवाई का विरोध शुरू, फर्जी ऋण बांटने पर हो कार्रवाई, सही बांटे गए ऋण पर न हो कार्रवाई
देहरादून।
सहकारिता में ऋण वसूली में देरी, ऋण न बांटने के मामले में हो रही ताबड़तोड़ निलंबन की कार्रवाई का विरोध भी शुरू हो गया है। साधन सहकारी समिति सचिवों के साथ ही ब्रांच मैनेजरों ने भी मोर्चा खोल दिया है। प्रशासन पर नियम विरुद्ध कार्रवाई का आरोप लगाया। साफ किया कि यदि फर्जी तरीके से ऋण बांटे गए हैं, तो कार्रवाई हो। सही बांटे गए ऋण पर कार्रवाई का विरोध होगा।
उप निबंधक गढ़वाल मान सिंह सैनी की अध्यक्षता में हरिद्वार और देहरादून में हुई समीक्षा बैठकों में ताबड़तोड़ छह अफसरों के निलंबन और बड़ी संख्या में अन्य अफसरों को निलंबन के नोटिस दिए गए। कार्रवाई ऋण की वसूली न होने और लोगों को ऋण न बांटने के मामले में हुई। इस कार्रवाई के तरीके पर साधन सचिवों और ब्रांच मैनेजरों ने सवाल उठाए हैं।
साधन समिति सचिव परिषद के निवर्तमान महामंत्री लक्ष्मण सिंह रावत ने कहा कि जिन लोगों ने फर्जी ऋण बांटे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उसका कहीं कोई विरोध नहीं है। लेकिन जहां नियमानुसार सही दस्तावेजों पर ऋण बांटे गए हैं, उन मामलों में क्यों कार्रवाई की जा रही है। कार्रवाई उनके खिलाफ की जाए, जिन्होंने वसूली की तय प्रक्रिया के तहत तीन नोटिस जारी नहीं किए। तीन नोटिस के बाद वसूली प्रशासन अमीन के स्तर से करवाता है। ऐसे में कार्रवाई में जल्दबाजी न दिखाई जाए।
भविष्य में लोन बांटने पर खड़ा होगा संकट
देहरादून में सहकारी बैंकों के मैनेजरों की एक बैठक में भी विरोध जताया गया। हालांकि कार्रवाई के डर से इस बैठक को गोपनीय रखा गया। तय हुआ कि अगले सप्ताह लिखित रूप में अपना पक्ष उच्च स्तर पर रखा जाएगा। ब्रांच मैनेजरों ने कहा कि यदि इसी तरह आंख बंद कर कार्रवाई हुई, तो समितियों से लेकर बैंक लोन ही नहीं बांट पाएंगे। पूरा कारोबार ही ठप हो जाएगा।
गांव बने शहर, यहां खेती न पशुपालन, किसे बांटे ऋण
दीनदयाल उपाध्याय सहकारी किसान कल्याण योजना में ऋण दिए जा रहे हैं। शहरी क्षेत्रों की समितियों, बैंकों के मैनेजरों का तर्क है कि इन क्षेत्रों में न तो खेती और न ही पशुपालन है। ऐसे में यहां ऋण के लिए लोग कम आ रहे हैं। इस पर भी निलंबन किया जा रहा है।
4.34 लाख लोगों को बांटा 2332 करोड़ का ऋण
अक्तूबर 2017 से अक्तूबर 2020 के बीच दीन दयाल उपाध्याय सहकारी किसान कल्याण योजना के तहत 434883 लाभार्थियों और 1670 स्वयं सहायता समूहों को 2332 करोड़ का ऋण बांटा गया। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ये ऋण बांटा गया। 2020-21 में 1.19 लाख लोगों को 846 करोड़ का अल्पकालीन, मध्यकालीन ऋण बांटा गया।
अफसरों के अपने तर्क
बीएम मिश्र, रजिस्ट्रार सहकारिता के अनुसार ऋण बांटने के बाद यदि 90 दिन के भीतर बैंकों को किश्तें देना शुरू नहीं होता, तो एनपीए की कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए। क्यों 90 दिन तक भी ऋण वापसी न होने पर मैनेजरों ने कार्रवाई नहीं की। पांच लाख की संपत्ति पर यदि एक करोड़ का ऋण स्वीकृत होगा, तो मैनेजरों को कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।