अनुसचिव ने एसटीपी की गुणवत्ता पर उठाए सवाल, शासन ने बैठाई जांच, भड़के पेयजल के इंजीनियर 

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अनुसचिव ने एसटीपी की गुणवत्ता पर उठाए सवाल, शासन ने बैठाई जांच, भड़के पेयजल के इंजीनियर

देहरादून।

पेयजल निगम के कार्यों की पड़ताल शासन के अनुसचिव से कराने पर पेयजल निगम के इंजीनियरों ने नाराजगी जताई। पेयजल अनुसचिव दीपक कुमार ने 27 नवंबर को 14 एमएलडी सराय एसटीपी की पड़ताल की। उन्हें पानी काला और उसमें झाग नजर आया। इस पर अपर सचिव पेयजल जीबी औली ने एमडी जल निगम को तकनीकी विशेषज्ञों से जांच करा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। एक अनुसचिव से बेहद तकनीकी योजना की जांच कराए जाने पर इंजीनियरों ने विरोध जताया। उत्तराखंड इंजीनियर्स फैडरेशन ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
अनुसचिव ने शासन को प्रस्तुत की अपनी रिपोर्ट में बताया कि जब वे एसटीपी के निरीक्षण को पहुंचे, तो वहां प्लांट से निकलने वाला पानी साफ नजर नहीं आया। पानी काला होने के साथ ही उसमें झाग बन रहे थे। रिपोर्ट में प्लांट के कार्य की तकनीकी जांच कराने की संस्तुति की थी। अनुसचिव की रिपोर्ट मिलते ही शासन ने भी बिना देर किए एमडी जल निगम से पूरे प्रकरण में रिपोर्ट तलब कर ली।
शासन की इस तेजी पर इंजीनियरों ने सवाल उठाए हैं। इंजीनियर संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने शासन के इस रवैये पर विरोध जताया। कहा कि अनुसचिव जैसे गैर तकनीकी लोगों से कैसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसे तकनीकी प्लांट का निरीक्षण, पड़ताल कराई जा सकती है। जबकि उन्हें एसटीपी से निकलने वाले पानी की गुणवत्ता से जुड़े मानकों तक की एबीसीडी नहीं पता है। उत्तराखंड इंजीनियर्स फैडरेशन के अध्यक्ष सुभाष चंद्र पांडे ने कहा कि कार्यों की जांच से कोई परहेज नहीं है। कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो जांच कराई जाए। लेकिन जांच पड़ताल, निरीक्षण का काम किसी तकनीकी एक्सपर्ट से ही कराया जाए। यही जांच का प्रोटोकॉल भी है।

डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने उठाए सवाल
जल निगम डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष रामकुमार ने कहा कि सराय के 14 एमएलडी प्रोजेक्ट की राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक ने तारीफ की है। प्रोजेक्ट का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर हुआ है। आज भी प्लांट से जो पानी निकल रहा है, वो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों को पूरा कर रहा है। ऐसे में गैर तकनीकी व्यक्ति के स्तर से सवाल उठाना और उस पर शासन का आनन फानन में जांच बैठाना, मनोबल तोड़ने वाला कदम है। समन्वय समिति के अध्यक्ष जितेंद्र देव ने कहा कि 27 नवंबर जिस दिन अनुसचिव ने जांच की, उस दिन के आंकड़े भी मानकों के अनुरूप है।

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