सामने आया कर्मकार बोर्ड का घपला, ब्रिज एंड रूफ कंपनी को लौटाने पड़े 18 करोड़, दो करोड़ अभी भी दबाए, कोटद्वार अस्पताल की डीपीआर के नाम पर ही निपटा दिए दो करोड़,
बोर्ड की चेतावनी, तत्काल पूरा पैसा न लौटाने पर कार्रवाई की चेतावनी
देहरादून।
कोटद्वार में 300 बेड के सुपर स्पेशलियटी हवाई अस्पताल के नाम पर जारी 20 करोड़ में से 18 करोड़ रुपये ब्रिज एंड रूफ कंपनी ने उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को लौटा दिए हैं। कंपनी ने अस्पताल की डीपीआर समेत प्रशासनिक खर्च के नाम पर दो करोड़ रुपये दबा दिए हैं। इस पर बोर्ड ने सख्त एतराज जताते हुए पूरा पैसा न लौटाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के खाते से छह अगस्त 2020 को ब्रिज एंड रूफ कंपनी के खाते में 20 करोड़ जारी किए गए थे। ये पैसा उस कोटद्वार अस्पताल के नाम पर जारी किया गया, जिसे लेकर शासन स्तर से कोई विधिवत मंजूरी नहीं दी गई। न ही अस्पताल की शासन स्तर से टीएसी हुई और न ही वित्त विभाग ने विधिवत ईएफसी की थी। बिना टीएसी और ईएफसी के अस्पताल निर्माण को किए गए 20 करोड़ के भुगतान का खुलासा हिन्दुस्तान ने किया था। इस मामले में एक एमओयू बोर्ड और ईएसआई के बीच हुआ। हालांकि बाद में ईएसआई के निदेशक ने इस एमओयू से खुद को अलग कर लिया।
मामले के खुलासे के बाद शासन स्तर पर हड़कंप मचा। तत्काल पूरे मामले की जांच को आईएएस वी षणमुगम की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई गई। साथ ही कंपनी को रिकवरी नोटिस जारी किया गया। इसमें पूरा पैसा लौटाने को कहा गया। विधानसभा में भी विपक्ष ने इस मसले को जोरशोर से उठाया। शासन स्तर से लगातार बढ़ते दबाव के बाद कंपनी ने गुरुवार को 18 करोड़ रुपये जारी किए। दो करोड़ न लौटाने के पीछे कंपनी तर्क दे रही है कि दो करोड़ डीपीआर और अन्य प्रशासनिक व्यय पर खर्च हो गया है।
सरकार ने माना नहीं दी गई कोई स्वीकृति
कोटद्वार अस्पताल के नाम पर जारी 20 करोड़ को लेकर आखिरकार सरकार ने भी मान लिया है कि कोई वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति नहीं दी गई। सूचना विभाग से जारी प्रेस नोट में साफ जिक्र किया गया है कि सरकार की ओर से कोई भी वित्तीय स्वीकृति नहीं दी गई।
कांग्रेस की आशंकाएं सही साबित हुई
विधानसभा में इस मसले को उठाने वाले कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने कहा कि कंपनी के पैसा लौटाने से साफ हो गया है कि जो सवाल उठाए गए थे, वह सही थे। उन्होंने कहा कि जब वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति ही नहीं थी, तो कंपनी ने किस आधार पर दो करोड़ रुपये डीपीआर के नाम पर खर्च कर दिए। उन्होंने कहा कि इसी दो करोड़ की बंदरबांट हुई है। तभी कंपनी पूरा पैसा लौटा नहीं पाई। उन्होंने पूरे मामले की विस्तृत जांच की मांग की।
ब्रिज एंड रूफ कम्पनी को तत्काल शेष दो करोड़ रूपए लौटाने को कहा गया है। क्योंकि सरकार की ओर से कोई वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति नहीं दी गयी थी। पैसा न लौटाने पर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।
दीप्ति सिंह, सचिव उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड