कर्मकार बोर्ड की छात्रवृत्ति आवंटन में भी गड़बड़ी, दो साल में 30 हजार बच्चों को बांटी 15 करोड़ की छात्रवृति, गैर श्रमिकों के बच्चों को भी लाभ 

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कर्मकार बोर्ड की छात्रवृत्ति आवंटन में भी गड़बड़ी, दो साल में 30 हजार बच्चों को बांटी 15 करोड़ की छात्रवृति, गैर श्रमिकों के बच्चों को भी लाभ

देहरादून।

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ओर से बांटी गई छात्रवृत्ति में भी गड़बड़ी हुई है। महज दो साल में तीस हजार छात्रों को 15 करोड़ छात्रवृत्ति बांट दी गई है। अब इसकी पड़ताल शुरू हो गई है।
भवन निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए बोर्ड में विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति की सुविधा है। पहली ही क्लास से बच्चों को छात्रवृति दी जाती है। सात अप्रैल 2010 से अगस्त 2018 तक छात्रवृति मद में कुछ बजट खर्च नहीं हुआ। लेकिन 2018 से 2020 के बीच महज दो साल में 15 करोड़ से अधिक की छात्रवृति बांट दी जाती है। वो भी तीस हजार से अधिक छात्रों को। ऐसे में चल रही जांच पड़ताल में सामने आए इस पहलू ने सभी की नींद उड़ा दी है। क्योंकि डीएम की जांच समेत एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं कि बोर्ड की योजनाओं का लाभ गैर भवन निर्माण श्रमिकों को बड़े पैमाने पर मिला है। ऐसे में यदि गैर श्रमिकों के बच्चों को भी छात्रवृति का लाभ मिला है, तो ये बेहद गंभीर वित्तीय अनियमितता माना जा रहा है। वित्त के जानकार इसे सीधे वित्तीय अपराध की श्रेणी में रख रहे हैं। ऐसे में मौजूदा बोर्ड प्रशासन ने बिना कोई देर किए इस पहलू की पड़ताल और रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है। बोर्ड अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने बताया कि हर पहलू की जांच पड़ताल चल रही है। ताकि हमेशा के लिए एक ठोस और पारदर्शी व्यवस्था बन जाए। अभी 25 से 30 हजार छात्रों को छात्रवृति दिए जाने की बात सामने आ रही है। बाकि रिपोर्ट फाइनल होने के बाद स्थिति साफ होगी।
बोर्ड स्तर से दी जाने वाली छात्रवृति में गड़बड़ी की शिकायतें शासन स्तर तक भी पहुंची हैं। मसला छात्रवृति से जुड़ा होने के कारण शासन ने भी बोर्ड प्रशासन को इस मसले में विशेष एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। ताकि कोई भी ऐसा पहलू न छूट जाए, जिसके बाद में सामने आने पर किरकिरी की स्थिति पैदा हो। शासन और मौजूदा बोर्ड प्रशासन को डर है कि कहीं बोर्ड की छात्रवृति आवंटन का ये मसला समाज कल्याण की छात्रवृति जैसा न निकले। ऐसा हुआ, तो करोड़ों की छात्रवृति गैर श्रमिकों के बच्चों को बांटे जाने की गाज बड़े स्तर पर कई लोगों पर गिर सकती है।

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