जल निगम के आरक्षित श्रेणी के इंजीनियरों को हाई कोर्ट से झटका, आरक्षण रोस्टर के अनुसार वरिष्ठता का लाभ वर्ष 2000 से देने की अपील खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और हाईकोर्ट ने सर्विस ट्रिब्यूनल में अपील करने को कहा
देहरादून।
जल निगम में आरक्षित श्रेणी के इंजीनियरों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। इंजीनियरों की आरक्षण रोस्टर नौ नवंबर 2000 से लागू करने की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सर्विस ट्रिब्यूनल में जाने को कहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी इसी मामले में आरक्षित श्रेणी के इंजीनियरों को हाईकोर्ट में अपील करने को कह चुका है।
आरक्षित श्रेणी के इंजीनियर कोर्ट का फैसला आने तक सहायक अभियंता पद पर वरिष्ठता निर्धारण और पदोन्नति पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। अब हाईकोर्ट में फैसला उनके पक्ष में न आने के कारण वरिष्ठता निर्धारण और पदोन्नति की प्रक्रिया पर रोक लगना भी मुश्किल नजर आ रहा है। कोर्ट ने भी अपने फैसले में वरिष्ठता निर्धारण और पदोन्नति पर रोक लगाने को लेकर भी कोई स्टे नहीं दिया है।
जल निगम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आरक्षण रोस्टर के अनुसार वरिष्ठता का निर्धारण कर वरिष्ठता सूची न्यायालय में प्रस्तुत कर दी थी। इस सूची पर भी आरक्षित श्रेणी के इंजीनियरों ने सवाल उठाए थे। आरक्षण रोस्टर 2005 से लागू करने की बजाय वर्ष 2000 से लागू करने की मांग की थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बिंदु पर कोई राहत नहीं दी थी। बल्कि हाईकोर्ट में अपील करने को कहा था। सोमवार को हाईकोर्ट ने भी इस मामले में सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल का रास्ता दिखाकर रिट को निस्तारित कर दिया है। इस फैसले से जहां सामान्य श्रेणी के 400 इंजीनियरों को थोड़ी राहत मिली है। वहीं आरक्षित श्रेणी के 100 इंजीनियरों को अब ट्रिब्यूनल में जोर आजमाइश करनी होगी।
जल निगम मैनेजमेंट ने शासन के आदेशों का भी पालन नहीं कर रहा है। रोस्टर को लेकर शासन के आदेश का पालन नहीं किया गया। इस मामले में हाईकोर्ट ने सर्विस ट्रिब्यूनल में अपील करने को कहा है। जल्द ट्रिब्यूनल में अपील की जाएगी। किसी भी सूरत में अपना अधिकार नहीं छोड़ा जाएगा।
सुनील कुमार, अपर सहायक अभियंता आरक्षित वर्ग
हाईकोर्ट ने वरिष्ठता निर्धारण और पदोन्नति प्रक्रिया पर रोक लगाने को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है। नियमानुसार जल्द वरिष्ठता निर्धारित करते हुए पदोन्नति की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। न्यायालय का जो भी आदेश है, उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा।
एससी पंत, मुख्य अभियंता मुख्यालय