स्पेशल ऑडिट से खुलेंगी कर्मकार बोर्ड के घपले की परतें, साढ़े तीन साल में 100 करोड़ से अधिक की हुई है खरीद, 45 करोड़ का नहीं मिल रहा है हिसाब

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स्पेशल ऑडिट से खुलेंगी कर्मकार बोर्ड के घपले की परतें, साढ़े तीन साल में 100 करोड़ से अधिक की हुई है खरीद, 45 करोड़ का नहीं मिल रहा है हिसाब

देहरादून।

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के स्पेशल ऑडिट से घपलों की कलई खुलेगी। साढ़े तीन साल में इस बोर्ड में 100 करोड़ से अधिक की खरीद हुई है। इसमें 45 करोड़ का तो हिसाब ही नहीं मिल रहा है। अंतिम समय में 15 करोड़ के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई है। बोर्ड का पहली बार ऑडिट होने जा रहा है। ऐसे में स्पेशल ऑडिट में कई चौंकाने वाले खुलासे होने तय माने जा रहे हैं।
कर्मकार कल्याण बोर्ड 2017 से ही चर्चाओं में आया है। इससे पहले कभी ये बोर्ड सुर्खियों में नहीं रहा। न कभी कोई विवाद और न ही खरीद फरोख्त पर सवाल उठे। 2017 के बाद लगातार पहले ही दिन से ये बोर्ड चर्चाओं, विवादों का केंद्र बना हुआ है। इस बोर्ड का लंबे समय से सामान्य ऑडिट भी नहीं हुआ है। ऐसे में पहली बार स्पेशल ऑडिट होने को नये बोर्ड का बड़ा कदम माना जा रहा है।
स्पेशल ऑडिट में करोड़ों की लागत से खरीदी गई घटिया गुणवत्ता की साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट की खरीद और वितरण पर विवाद है। बोर्ड की साइकिलें किन लोगों को बांटी गई। साइकिलों की खरीद से लेकर उन्हें रखने, वितरण समेत हर मसले में झोल है। सरकारी साइकिलों का आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के हाथों बांटा जाना भी सवालों के घेरे में है। ऐसे में इन तमाम घपलों की परतें अब स्पेशल ऑडिट में खुलने जा रही हैं।
शमशेर सिंह सत्याल, अध्यक्ष उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने बताया कि श्रमिकों के पंजीकरण की जांच का मकसद यही है कि भवन निर्माण से जुड़े असल श्रमिकों को ही योजनाओं का लाभ मिल पाए। स्पेशल ऑडिट इसीलिए कराया जा रहा है कि ताकि सभी विवादों पर विराम लग सके। असलियत सामने आ सके और भविष्य में पारदर्शिता के साथ काम करने में मदद मिले। बोर्ड में एक सिस्टम तैयार हो सके।

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