श्रीनगर ट्रांसमिशन लाइन का टैरिफ सभी में बंटेगा, जनता को राहत, अभी तक अकेले यूपीसीएल पर पड़ रहा था भार, हर साल पॉवर टैरिफ के कारण जनता पर भी था बोझ
देहरादून।
पिटकुल की 400 केवी डबल सर्किट श्रीनगर से श्रीनगर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण किया गया है। लाइन वर्ष 2016 में तैयार हो गई थी। इसकी कुल लागत 38.87 करोड़ रुपए है। इस लाइन का सालाना टैरिफ में सारा खर्चा यूपीसीएल के जरिए आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा था। इसे लेकर केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग में अपील की गई। जहां तय हुआ कि अब ये खर्चा लाइन का उपयोग करने वाले सभी में बंटेगा।
इस लाइन के बनने से राज्य का पॉवर ट्रांसमिशन सिस्टम मजबूत हुआ। केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश संख्या 20 अप्रैल 2018 में पूर्व में इस लाइन का अंतरिम टैरिफ वर्ष 2016-17 से वर्ष 2018-19 तक कुल रुपए 14.26 करोड़ तय किया। साथ ही आयोग ने यह आदेश दिया कि पिटकुल द्वारा इस लाइन का निर्माण अलकनंदा विद्युत परियोजना से राज्य को प्राप्त होने वाली विद्युत के लिए किया। जब तक ये लाइन अंतर्राज्यीय ग्रिड से नहीं जुड़ती, तब तक यूपीसीएल द्वारा इस लाइन के टैरिफ का भुगतान पिटकुल को किया जाएगा।
इसके बाद पिटकुल ने आयोग के समक्ष विभिन्न तथ्य प्रस्तुत किए गए। आयोग ने 13 जून 2021 को इस लाइन का अंतिम टैरिफ निर्धारण किया। इस लाइन से वर्ष 2016-17 से वर्ष 2018-19 तक कुल रुपए 18.91 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा। अपने आदेश में आयोग ने 400 केवी डबल सर्किट श्रीनगर-श्रीनगर (पी.एच.) ट्रांसमिशन लाइन को अंतर्राज्यीय ग्रिड का भाग माना है। इस लाइन के ट्रांसमिशन टैरिफ की वसूली अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन प्रभार के तहत होना सुनिश्चित किया गया। सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि इस आदेश के तहत अब इस लाइन के ट्रांसमिशन टैरिफ की वसूली सीधा यूपीसीएल से ना होकर अब उत्तर क्षेत्र के समस्त उपयोगकर्ताओं से होगी। जिसका सीधा सीधा लाभ उत्तराखंड राज्य को होगा। जिससे प्रदेश के उपभोक्ताओं पर विद्युत भार कम होगा।