देवताल यात्रा में टिम्मरसैण महादेव के दर्शन को भी किया शामिल, बदरीनाथ धाम से सात अक्तूबर को शुरू होगी यात्रा, 14 अक्तूबर को जोशीमठ में आकर संपन्न होगी यात्रा

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देवताल यात्रा में टिम्मरसैण महादेव के दर्शन को भी किया शामिल, बदरीनाथ धाम से सात अक्तूबर को शुरू होगी यात्रा, 14 अक्तूबर को जोशीमठ में आकर संपन्न होगी यात्रा

माणा घाटी स्थित सरोवर देवताल यात्रा में इस बार टिम्मरसैण महादेव के दर्शन को भी शामिल किया गया है। इस बार यात्रा सात अक्तूबर को शुरू होकर 14 अक्तूबर को संपन्न होगी।
पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी के नेतृत्व में यात्रा सात अक्तूबर को बदरीनाथ धाम से शुरू होगी। गांववासी ने बताया कि इस बार यात्रा को विस्तार देते हुए इसमें नीति घाटी स्थित टिम्मरसैण महादेव के दर्शन को भी जोड़ा गया है। कहा कि हिमालय स्थित यह यात्रा अपने स्वरूप में धार्मिक, आध्यात्मिक होने के साथ ही साथ सीमा दर्शन और राष्ट्र सुरक्षा का भाव भी अपने में समाए है।
सात अक्टूबर को यात्री श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे। आठ अक्टूबर को धाम में भव्य दिव्य ध्वज समारोह होगा। नौ अक्टूबर को देवताल यात्रा होगी। पवित्र सरोवर में पूजा अर्चना के साथ स्नान होगा। 10 अक्टूबर को सभी यात्री जोशीमठ पहुचेंगे। यहां से 11 अक्तूबर को सुमना और 12 अक्तूबर को रिमखिम तथा नीती-घाटी में विश्राम किया जाएगा। 13 अक्तूबर को टिम्मरसैण महादेव के दर्शन कर वापस जोशीमठ पहुंचा जाएगा। 14 अक्टूबर को सभी यात्री अपने मूल स्थान के लिए प्रस्थान करेंगे।
बताया कि नीती घाटी स्थित टिम्मरसैण महादेव उत्तराखंड के अमरनाथ के समान है। यहां भी बर्फ का शिवलिंग बनता है। धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर टिम्मरसैण को लाना भी इस यात्रा का उद्देश्य है। माणापास और नीती घाटी दोनों ही सामरिक दृष्टि से भी बेहद अहम हैं। दोनों ही घाटियां भारत तिब्बत सीमा रेखा बनाती हैं। इससे भी यात्रा सीमादर्शन के लिए भी खास है।

2015 से पुनर्जीवित हुई यात्रा
गांववासी ने बताया कि भारतीय सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और जिला प्रशासन चमोली से अनुमति लेकर साल 2015 से इस यात्रा को पुनर्जीवित किया। 1962 के बाद से ये यात्रा समाप्त हो गई थी। देवताल से तिब्बत स्थित थोलिग मठ नजदीक है। प्राचीन परंपरा के अनुसार थोलिंग मठ से बदरी भगवान के लिए चँवर आदि प्रसाद स्वरूप भेजा जाता था। जो कि बंद हो गया है।

ब्लड प्रेशर मरीजों को नहीं है मंजूरी
बताया कि हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए इस यात्रा की मंजूरी नहीं है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में आक्सीजन की कमी को देखते हुए इस यात्रा में विशेष सावधानी की जरूरत है। सीमित यात्रियों को ही जिला प्रशासन और सेना मंजूरी देती है। सुरक्षा के लिहाज से अति संवेदनशील होने के कारण यहां फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी प्रतिबंधित है।

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